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अपूर्ण कामेच्छा,sex iccha poori na hona,adhik kaam vasna

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अपूर्ण कामेच्छा,sex iccha poori na hona,adhik kaam vasna रोग परिचय-इस रोग में रोगी को बार-बार उत्तेजना होने लग जाती है तथा उत्तेजना के साथ ही लिंग से वीर्य तथा अन्य दूसरे प्रकार के तरल निकल जाया करते हैं। कई बार अत्यधिक मात्रा में वीर्यपात हो जाया करता है । वीर्य पानी की भाँति पतला और कमजोर हो जाता है। स्त्री के पास जाते ही वीर्य शीघ्र अथवा मैथुन से पूर्व ही निकल जाता है। स्वप्नदोष, वीर्य, प्रमेह आदि रोग हो जाते हैं। मूत्रप्रणाली में प्रायः जलन होती रहती है। इस रोग से ग्रसित रोगी का शरीर दुबला-पतला और चेहरा पीला, पिचका हुआ हो जाता है। सिर दर्द, सिर चकराना, दिल दिमाग कमजोर हो, रोगी उत्साहहीन हो जाता है। जठराग्नि कमजोर हो जाती है हाथ की हथेलियों और पाँव के तलुवों में जलन होती है तथा पीठ पर चीटियाँ सी रेंगती प्रतीत होती है। छोटी इलायची के बीज, बड़ी इलायची के बीज, बंशलोचन, अजवायन, अनार के फूल, संभालू के बीज, काहू के बीज, तज-कलमी, बिना छेद के माजू, बड़ी माई, बबूल की गोंद, कतीरा, सफेद खशखश के बीज, काली खशखश के बीज, गुलाब के फूल, ईसवगोल का छिलका सभी समभाग लेकर कूट-पीसकर चूर्ण तैया...