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गाँठें, गिल्टियाँ, रसूलियाँ,rasoli,saree mein ganthein,galtiyan,ka ilaj

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गाँठें, गिल्टियाँ, रसूलियाँ,rasoli,saree mein ganthein,galtiyan,ka ilaj रोग परिचय-गिल्टियाँ या गाँठे उभार के रूप में चर्म और मांस के बीच पाई जाती हैं। यदि शरीर की प्राकृतिक ग्रन्थियां बढ़ जायें तो उनको अंग्रेजी में एनलार्जड ग्लैन्ड और यदि किसी रोग के कारण अप्राकृतिक रूप से गिल्टियाँ उत्पन्न हो जाए तो उन्हें ग्लेन्डयूलर ट्यूमर कहते हैं। इन्हें आयुर्वेद में ग्रन्थिल अर्बुद के नाम से जाना जाता है। इन गिल्टियों में बहुत सी गिल्टियाँ तो स्वयं एक रोग का स्थान रखती हैं। जैसे- कन्ठमाला (स्क्रोफ्यूला) (यह प्रायः नरम मांस जैसे गर्दन और बगल में निकलती हैं। ये प्रायः एक ही झिल्ली में कई-कई होती है, किन्तु कभी-कभी रसूली की भाँति प्रत्येक की झिल्ली अलग हुआ करती है। इसका कारण गाढ़ा बलगम या कफ पदार्थ होता है। इसमें बहुत जल्द पीप पड़ जाती है परिणामस्वरूप ये फूट जाती हैं। आधुनिक चिकित्सा शास्त्री इस रोग (कन्ठमाला) को क्षय के संक्रमण (ट्यूबर क्युलोसिस) से उत्पन्न होना मानते हैं। त्वद या ककरौली- यह एक दूषित प्रकार की रसूली या शोथ होती है, जो शरीर के किसी भी भाग पर उत्पन्न हो सकती है। यह गोलाका...

गर्भाशय की रसूली,fibrosis,rasoli

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(गर्भाशय की रसूली,fibrosis,rasoli) रोग परिचय-वैसे शरीर के प्रत्येक भाग में रसूली हो सकती है अ रसूलियाँ भी विभिन्न प्रकार की होती हैं। गर्भाशय की रसूलियां तन्तुओं (रेशों) युक्त हुआ करती हैं। कई में चर्बी जैसा पदार्थ और कई में अण्डे की सफेदी जैसा लेसदार स्राव होता है। कई रसूलियों में पीले रंग का गाढ़ा स्त्राव होता है। कई रसूलियाँ लाल रंग की होती है जिसमें पेशाब जैसा खट्टा पदार्थ होता है। जिनकी संरचना स्पंज जैसी होती है और बहुत छोटी होती है, उनको डाक्टरी में पोलीवी (Polypi) कहा जाता है। इनसे रक्त भी आ सकता है। यह रोग रक्त के गाढ़ा हो जाने, उपदंश-दोष, कफ-विकार आदि कारणों से हो जाया करता है। इसके कारण बांझपन और गर्भपात का रोग भी हो जाता है। इस रोग का साधारण लक्षण मासिक बन्द हो जांना या अनियमित रूप से आना है। इस रोग के कारण स्वी को रक्त अल्पता और श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) का रोग हो जाता है। ल्यूकोरिया स्वयं में कोई स्वतंत्र रोग नहीं है बल्कि विभिन्न रोगों के फलस्वरूप हो जाया करता है। अतः ल्यूकोरिया की उचित चिकित्सा भी यही है कि रोग के मूल कारण को ही दूर किया जाये। जो. वैद्य ल्यूको...