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कण्ठमाला या अपची,गले के रोग, (Scrofula, Lymphadenitis

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         (कण्ठमाला या अपची,गले के रोग, (Scrofula, Lymphadenitis) रोग परिचय-गले की ग्रन्थियाँ बड़ी होती है और पक जाती हैं तथा फटने पर महीनों बहती रहती हैं। एक ठीक होने पर दूसरी हो जाती है। प्रायः एक साथ अनेक ग्रन्थियाँ बढ़ी हुई हुआ करती हैं।(उपचार) • कचनार की छाल 40 ग्राम को जौकुट कर कलईदार वर्तन में 40 ग्राम जल में पकायें। जब 50 ग्राम. जल शेष रहे तो उतार कर सुखोष्ण ही छानलें। उसमें 3 से 5 ग्राम सौठ का चूर्ण तथा 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन 1 बार 40 दिनों तक पिलाने से गन्डमाला में पूर्ण लाभ होता है। • चोबचीनी का चूर्ण 4 से 10 ग्राम तक नित्य 2 बार शहद के साथ चटाने से कन्ठमाला में पूर्ण लाभ होता है। • काली जीरी के साथ धतूरे के बीज तथा अफीम घोट पीसकर जल में गरम कर गाढा-गाढ़ा लेप करने से पीड़ा शान्त हो कर गाँठें बैठ जाती है। • नीम की छाल के साथ नीम के पत्तों को मिलाकर जौकुट कर क्वाथ बनाकर पिलाने से गंडमाला में लाभ होता है। • बबूल की छाया शुष्क अन्तर छाल के महीन चूर्ण को कन्ठमाला के घाव पर बुरकने से लाभ होता है। • बाकला को जौ के आटे और फिटकरी के साथ पीसकर ...