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जनवरी 23, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चम्बल,अपरस(Proriasis)psoriasis,chambal,apras,chamdi rog,pitt se hone wale chamdi rog

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(चम्बल,अपरस(Proriasis)psoriasis,chambal,apras,chamdi rog,pitt se hone wale chamdi rog) रोग परिचय-यह रोग प्रायः कुहनी, घुटनों, पीठ, छाती, जाँघों इत्यादि चर्म पर गुलाबी रंग के पित्त के सिरे जैसे छोटे-छोटे दानों के रूप में उत्पन्न होता है। इन दानों में पीप नहीं होती है। यह एक अत्यन्त हठीला रोग है जो वर्षों तक बना रहता है। कभी-कभी यह स्वतः दब जाता है किन्तु कुछ समय बाद अथवा विशेष मौसम में पुनः उभर आता है। यह रोग प्रायः गठिया, आमवात, दस्तों का पीप युक्त होना, टान्सिल और गर्भाशय ग्रीवा में जीवाणुओं के संक्रमण होने तथा घी, मक्खन आदि के अधिक सेवन करने तथा दांतों के विकार-पायोरिया आदि के कारण एवं अजीर्ण और उपदंश आदि रोगों के कारण यह रोग हो जाता है।प्रारम्भ में त्वचा पर गुलाबी या लाल अथवा बैंगनी रंग के बहुत ही छोटे- छोटे पीप रहित दाने निकलते है, जो बाद में आपस में मिलकर एक बड़ा ताम्रवर्ण का चकत्ता बन जाता है। इसके समीप की त्वचा पर लाल रंग का प्रदाहयुक्त एवं रोगाक्रान्त स्थान ऊँचा और सूखा सा हो जाता है। उस चाँदी के सदृश छिलके उतरते रहते हैं। इनमें पीप नहीं होती है किन्तु खुजली होती है...

छपाकी शीतपित्त (Irticaria)Urticaria,gulam pitt,seetpitt,chhapaki pitt

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(छपाकी शीतपित्त (Irticaria)Urticaria,gulam pitt,seetpitt,chhapaki pitt) रोग परिचय-इस रोग को-जुड़ी पित्ती, जुल्म पित्ती, शीत पित्ती, छपाकी इत्यादि कई नामों से जाना जाता है। रक्त की उष्णता के कारण शरीर पर चकत्ते या ददौरे पड़ जाते हैं, जो तेजी से खुजलाते हैं। रोग पुराना हो जाने पर इससे छुटकारा पाना अत्यधिक मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी इसके साथ ज्वर भी हो जाता है। प्रायः यह रोग पाचक संस्थान की गड़बड़ी (अजीर्ण, अग्निमाद्य, मन्दाग्नि, कब्ज) अथवा स्वियों के गर्भाशयिक विकारों तथा वात रोग किसी प्रकार के जहरीले कीड़े-बर्र, मधुमक्खी, मच्छर, खैटैमल आदि के काटने से अथवा अत्यधिक शीत या धूप लग जाने, अत्यधिक परिश्रम, तनाव, चिन्ता, मानसिक उत्तेजना, किंसी खाद्य या पेय पदार्थ किसी औषधि-विशेष से होने वाली एलर्जी, धूल, धुआँ, गन्ध, सुगन्ध, ऋतु परिवर्तन, भोजन में अत्यधिक तेज मिर्च मसाले, घी-तैल का प्रयोग, खट्टे, चटपटे पदार्थों का सेवन, उपदंश रोग के विषाणुओं और सर्दी-गर्मी का एक साथ प्रकोप यथा- नहाकर जल्दी से ही कोई गरम कम्बल अथवा रजाई ओढ़ लेना अथवा जल्दी से गर्म चाय, कॉफी, दूध अथवा कोई गरम पदार्थ ...