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फाइलेरिया, श्लीपद या फीलपाँव=filaria=sallallah=filpaav

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फाइलेरिया, श्लीपद या फीलपाँव=filaria=sallallah=filpaav रोग परिचय-यह रोग (फाइलेरिया बेन्काफ्टाई) नामक कीटाणु के संक्रमण से उत्पन्न होता है। यह कीटाणु रोगी के रक्त या लसिका प्रवाह में उपथित रहता है। ये कीटाणु सूत के समान पतला तथा लगभग 2 मीटर तक लम्बा और 2.5 मि.मी. मोटा होता है। इस रोग में सर्वप्रथम पैरों की ऊपरी त्वचा में सूजन होकर उसका रंग गम्भीर हो जाता है। धीरे-धीरे आक्रान्त पैर अपनी प्राकृतिक अवस्था से दोगुना, तिगुना मोटा हो जाता है। इसकी सूजन में अंगुली से दबाने पर गड्‌ढेनहीं पड़ा करते हैं। लसिका वाहिनियाँ सूज जाती हैं जिससे कई स्थानों पर उभार बन जाते हैं और उसमें दूधिया जल के समान तरल बहने लगता है। किसी-किसी रोगी में इसका कीटाणु संक्रमण अण्डकोषों में पहुँच जाता है जिसके परिणामस्वरूप अण्डकोष 40 कि. मा. तक भारी हो जाते हैं। उपचार • अँगूठे के ऊपर का रक्त निकाल देने से यह रोग नष्ट हो जाता है। • गुड़ और हल्दी बराबर को गाय के मूत्र के साथ प्रयोग करने से यह रोग नष्ट हो जाता है। • 10 माशा कसौंदी की जड़ को गाय के घी मिलाकर प्रयोग करने से श्लीपद रोग नष्ट हो जाता है। • सहदेवी को त...

तलुवों में जलन होना =Burning hand and feet syndrome=haath pair ke talvo mein jalan

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तलुवों में जलन होना =Burning hand and feet syndrome=haath pair ke talvo mein jalan रोग परिचय-इस रोग के उत्पन होने के विभिन्न कारण है। कभी-कभी किसी-किसी रोगी के हाथ की हथेलियों और पैर के तलुवों में इतनी अधिक दाह या जलन होती है कि रोगी चैन की नींद नहीं सो पाता है। उपचार • हरड़, बहेड़ा, आँवला और अमलतास का गूदा प्रत्येक 5-5 ग्राम लेकर जौकूट कर 375 मि.ली. जल में काढ़ा बनायें। 60 मि.ली. जल शेष रहते ही उतार लें और छानकर ठण्डा करके सुबह-शाम पिलायें । • मेंहदी के पत्ते, शरपुंखा के पत्ते तथा नीम के पत्ते प्रत्येक 10 ग्राम लेकर जल के साथ सूक्ष्म पीसलें। इसे हाथ की हथेलियों और पैर के तलुवों पर दिन में 3-4 बार लगाकर पट्टियाँ बाँध दें। नोट-इस औषधि को बहुत देर तक लगाये रहना चाहिए । • पित्त पापड़ा, लाल चन्दन, खस, पदमाख, नागरमोथा, प्रत्येक 5-5 ग्राम को जौ-कुट करके आधा लिटर पानी में क्वाथ बनायें। जल 300 मि.ली. शेष बचे, तब ठण्डा करके इसमें 12 मि.ली. शुद्ध शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना इस रोग को नष्ट कर देता है। • गिलोय सत्व (योग रत्नाकर) 500 मि.ग्रा. से 1 ग्राम तक मधु से दिन में 2-3 बार चाटें तथा ...