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ग्रहणी - संग्रहणी रोग और ईलाज)

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ग्रहणी संग्रहणी का ईलाज                     (     ग्रहणी - संग्रहणी रोग और ईलाज)   रोग परिचय-  इस रोग को ग्रहणी, संग्रहणी के अतिरिक्त श्वेतातिसार तथा  अंग्रजी( में सपरूSpure) भी कहा जाता है । क्योंकि प्रारम् में प्रात.:काल बिना  दर्द के हल्का सफेद और फेनदार खड़्या मिट्टी (रिंग का) पानी के समान दस्त  आता है । ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है, त्यों-त्यों सायंकाल और भोजनोपरान्त  तुरन्त भी दस्त आने लगता है किन्तु रोगी को कोई कष्ट महसूस नहीं होता है,  इसके पश्चात् पेट अफरता है, दुर्गन्धित अपानबायु, बदहज्मी और मन्दारिन इत्यांदि  के लक्षण प्रारम्म होकर दुर्बलता, नाडी क्वीणता, पान्डु, अन्त में मरोड़ से तथा रोगी  क्षीण होकर उचित चिकित्सा के अभाव में काल कवलित हो जाता है ।                                    (उपचार  )  सफेद राल 10 ग्राम, देशी खान्ड 20 ग्राम दोनों को मिलाकर खूब घोट...