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केशों का असमय पकना -Premature Graying-umar se pehle baal safed hona

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केशों का असमय पकना -Premature Graying-umar se pehle baal safed hona रोग परिचय-असमय अर्थात् कम आयु में विविध कारणों के कारण सिर के बाल पककर सफेद हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप रोगी का सौन्दर्य नष्ट हो जाता है। उपचार रीठा को जल में 12 घंटे तक भिगोकर उसके फेन से सिर के समस्त बालों को धोकर सूखे तौलिया से सुखायें। तदुपरान्त सूखे आँवला 250 ग्राम को 12 घंटे तक जल में भिगोकर इसके निथरे हुए जल को छानकर इससे केशों की जड़ों को भिगोते हुए धोवें। यह क्रिया (प्रयोग) प्रतिदिन 1-2 बार किया करें। अत्यन्त लाभप्रद घरेलू योग है। • शिकाकाई केश तैल (निर्माता मैट्रो) या महाभृंगराज केश तैल (निर्माता वैद्यनाथ) अथवा आंवला केश तैल (निर्माता डाबर) का बालों को धो पोंछ व सुखाकर बालों की जड़ों में प्रतिदिन 1-2 बार लगाना भी अतिशय गुणकारी है।

पनसिका, फुन्सी (Furuncle)

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पनसिका, फुन्सी (Furuncle) रोग परिचय-यह एक विशिष्ट प्रकार की फोड़े-फुन्सियों का संक्रामक रोग है। एक साथ पास-पास या दूर-दूर उत्पन्न होती है। शरीर में जिस पर इन विशिष्ट फुन्सियों का पूय (पीप आदि) लग जाता है। त्वचा के उस स्वस्थ स्थान पर भी ये उत्पन्न हो जाया करती हैं। उपचार • नीम के पत्तों के काढ़े से आक्रान्त त्वचा को प्रतिदिन प्रातः काल धो पौंछकर स्वच्छ करें । • सारिवाद्यारिष्ट तथा महा मन्जिष्ठारिष्ट प्रत्येक 15 मि.ली. समान भाग जल मिलाकर भोजनोपरान्त दिन में 2 बार पीना लाभप्रद है। परवल के पत्ते 12 ग्राम, नीम के पत्ते 12 ग्राम और जल 1 लीटर लेकर उनका विधिव् काढ़ा बनायें। आधा लीटर शेष बच जाने पर छानकर इससे आक्रान्त त्वचा को दिन में 2 बार धोवें तदुपरान्त नीम तैल और निर्गुन्डी के तैल में कपूर मिलाकर आक्रान्त त्वचा पर दिन में 3-4 बार लगायें। यह लाभकारी है।