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विसर्प, सुर्खवाद (Erysipelas)visarjan,shekhawati bukhar

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   विसर्प, सुर्खवाद (Erysipelas)visarjan,shekhawati bukhar  रोग परिचय- यह एक खतरनाक ज्वर होता है, जिसमें चर्म में फैलने वाला शोथ उत्पन्न हो जाता है। (इस रोग का कारण स्ट्रप्टो कोक्कस पायोजेन्स नामक 1 कीटाणु होता है। इसकी छूत रोगी के बिस्तर या शरीर से लग जाती है और प्रायः चेहरे पर अथवा जिस बाजू पर टीका लगे या कभी फुन्सी या घाव में संक्रमण होकर यह रोग हो जाया करता है। छूत लगने के 3-4 दिनों के बाद कम्पन लगकर 105 डिग्री फा. हा. तक ज्वर चढ़ जाता है। जी मिचलाना, सिर में दर्द होना, पीड़ित स्थल पर अत्यधिक लाली, चमक और शोध जिसमें तीव्र दर्द के लक्षण होते हैं। इस रोग में चर्म के नीचे फोड़े हो जाते हैं (सैप्टीसीमिया) रक्त में कीटाणु आ जाने से उनमें विषैले प्रभाव से वृक्कशोथ (नैफाईटिस रोग) आदि रोग हो जाते हैं। कभी-कभी दिमाग और उसके पर्दों में शोध होकर प्रलाप और सरसाम का रोग हो जाता है। जब यह रोग दूर होने लगता है तो लाली, शोथ, जलन व दर्द में कमी आ जाती है और कई दिन तक चर्म से छिलके उतरते रहते हैं। रोग न घटने पर चेहरा और सिर में इन्फ्लेमेशन हो जाना खतरनाक लक्षण होता है। इस र...