उच्च रक्त-चाप,बलङ प्रैशर रोग परिच्य और ईलाज)
( उच्च रक्त-चाप,बलङ प्रैशर रोग परिच्य और ईलाज) - रक्तचाप मापी यंत्र से रक्त भार मापने पर जब 150 से 300 तक रक्तचाप बढ जाता है तब अनेक विकार शरीर में उत्पन्न हो जाते है जो रक्तचाप सामांन्य होते ही स्वयं ही सामान्य हो जाते हैं। रक्तचाप का बढ़ना कोई स्वयं में स्वतन्त रोग नहीं है, बल्कि यह शरीर में पनप रहे अन्य अनेक घातक " रोगों का एक पुरिणाम है । जो रोगी को भोगना पड़ता है । उपचार मयूर पंख को जलाकर इसकी राख 1 से2 रती तक मधु से चटाने से . हद्पीड़ा और दमे में आराम होता है, वमन का वेंग भी रूक जाता है तथा उच्च रक्तचाप में भी अत्यन्त ही लाभप्रद है नौसादर 4 रत्ती, प्रवालपिष्टी 2 रर्ती, स्वर्णमाक्षिक भस्म 2 रत्ती, मक्खन मित्री के साथ, पेठा के साथ मधु के साथ प्रयोग करने से हदय सम्बन्धी जलन, दर्द, आयु धड़कन तथा कमजोरी दूर हो जाती है । सुबह-शाम दिन में 2 बार प्रयोग करायें। हृदय रोग में दिन में 3-4 बार 2-3 चम्मच मधु का सेवन करना अत्यन्त लाभप्रद है ।" इस प्रयोग से हारटफेल का भय भी दूर हो जाता है । लहसुन के निरन्तर प्रयोग से हाईब्लड प्रै...