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जनवरी 16, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गर्भाशय-आवरण-शोथ,bachedani ki elarji

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(गर्भाशय-आवरण-शोथ,गर्भाशय की रचना का कमजोर हो जाना, गर्भाशय में अधिक मात्रा में रक्त एकत्रित हो जाना, सुजाक या उपदंश रोग हो जाना,garbhasya ki sodh,bachedani ki soojan) रोग परिचय- उदरस्थ झिल्ली के उस भाग में सूजन आ जाती है जिसका सम्बन्ध गर्भाशय से होता है। इस रोग का कारण गर्भाशय की रचना का कमजोर हो जाना, गर्भाशय में अधिक मात्रा में रक्त एकत्रित हो जाना, सुजाक या उपदंश रोग हो जाना, अस्पताल में आप्रेशन करते समय और यन्त्र प्रवेश कराते समय चिकित्सक द्वारा असावधानी हो जाना, गर्भाशय, डिम्बाशय और फेलोपियन ट्युबों में शोथ आ जाने और उनमें रसूलियाँ हो जाने तथा मासिक धर्म के समय में सर्दी लग जाना इत्यादि हैं। इस रोग में शोथ - तीव्र, एवं साधारण- दो प्रकार की होती है। तीव्र शोथ में पीड़ित स्त्री को कम्पन के साथ ज्वर हो जाता है। प्यास, मिचली और वमन का कष्ट होता है। मुँह का स्वाद कड़वा रहता है तथा पेडू में तीव्र दर्द होता है जो थोड़ा सा भी हिलने-डुलने अथवा दबाने से बढ़ जाता है। इसी कारण रोगिणी हर समय अपने पैर पेट की ओर सिकोड़े हुए पड़ी रहती है, क्योंकि पैर फैलाने से दर्द बहुत अधिक बढ़ जाया...

दूषित गर्भ,bar-bar bacha girna,bacha girna,garbhpaat

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(दूषित गर्भ,bar-bar bacha girna,bacha girna,garbhpaat) रोग परिचय-इस रोग से ग्रसित स्वियों को बार-बार गर्भपात हो जाया करता है। मृत शिशु उत्पन्न होता है। प्रत्येक बार कुरूप अथवा विभिन्न पशुओं की आकृति का बच्चा उत्पन्न हुआ करता है अथवा बच्चा उत्पन्न हो चुकने पर किसी रोग से बच्चा मर जाता है। इस रोग के कारण हैं-पति या पत्नी को सुजाक अथवा उपदंश होना, गर्भाशय में खराबी होना, पुरुष (पति) के शुक्र कीटों की कमजोरी अथवा खराबी, स्वी में रक्त विकार होना, मासिक धर्म के दिनों में गर्भ रह जाना, स्वी का दिमाग खराब होना, मासिक आ चुकने अथवा सम्भोग के समय बुरी आकृतियों, भयानक जीवों और पशुओं का विचार करना और कई बार अकारण (बगैर किसी कारण का पता चले) यह रोग हो जाया करता है। यदि किसी विशेष समय में गर्भपात होता है तो गर्भपात के तमाम लक्षण स्पष्ट प्रतीत होते हैं। अद्भुत आकृति या पशु समान गर्भ होने पर गर्भाशय मेंउसकी गतियाँ बच्चे से भिन्न हुआ करती हैं। यदि भ्रूण अत्यधिक कमजोर हो तो कमजोरी के कारण गर्भाशय में उसकी गति प्रतीत नहीं होती या उसकी गति बहुत कमजोर होती है। इस रोग में पीड़ित प्रायः स्वी सुस्त...

झूठा गर्भ,Fake pregnancy,nakli garbh ka ilaj

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(झूठा गर्भ,Fake pregnancy,nakli garbh ka ilaj) रोग परिचय-इस रोग में स्वी का पेट गर्भवती स्त्रियों की भाँति दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जाता है, जिसके कारण गर्भ का सन्देह हो जाता है। मासिक धर्म बिल्कुल बन्द हो जाता है अथवा अल्प मात्रा में अनियमित रूप से आता रहता है। गर्भाशय का मुख बन्द हो जाता है। रोगिणी का चेहरा निस्तेज तथा स्तनों की चूंचियों का चारों ओर का घेरा काला सा हो जाता है। अजीर्ण, अंग टूटना, सुस्ती होकर पेट में गैस (वायु) चलने लगती है। प्रायः चौथे मास से गर्भाशय में वायु के कारण गति (हरकत) प्रतीत होने लगती है। संक्षेप में गर्भ होने के लगभगसमस्त लक्षण दिखलायी पड़ते हैं। यह रोग गर्भाशय के अन्दर दूषित पदार्थ और तरल के एकत्रित हो जाने, गर्भाशय की पूरी रचना या उसके भाग में बहुत अधिक शोध हो जाने अथवा रक्त जमकर लोधड़ा बन जाने और निरन्तर रक्त लगकर जमते रहने से लोथड़े का बड़ा होते चले जाना, हिस्टीरिया रोग होना आदि कारणों से यह रोग उन युवा (जवान) खियों को हो जाता है- जिन्हें सन्तानोत्पत्ति की तीव्र लालसा होती है। असली और नकली गर्भ की पहचान यदि गर्भाशय में जमे हुए रक्त का गाढ़ा लो...