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नष्टार्तव, मासिकधर्म बन्द हो जाना,masik dharam band hona,period,period band hona

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(नष्टार्तव, मासिकधर्म बन्द हो जाना,masik dharam band hona,period,period band hona) रोग परिचय- इस रोग में मासिकधर्म बिल्कुल ही बन्द हो जाता है अथवानियत समय से बहुत देर बाद अल्प मात्रा में दर्द और कष्ट से आता है। यदि रजोधर्म आरम्भ से ही बन्द हो तो 'आरम्भिक कष्टार्तव' (प्राइमरी ऐमेनोरिया) और यदि मासिक धर्म पहले नियमित रूप से आता रहा हो और बाद में किसी विकार के कारण बन्द हो गया हो तो 'गौण आर्त्तव' (सेकेन्डी ऐमेनोरिया कहलाता है। इस रोग के 3 प्रकार हुआ करते है- (अ) आरम्भ से ही स्राव बन्द होना, (ब) 1 या 2 बार प्रदर आकर बन्द हो जाना, (स) मासिकधर्म का उत्पन्न तो होना किन्तु रास्ता बन्द होने के कारण उसका जारी न हो सकना । इस रोग का प्रथम कारण जन्म से गर्भाशय या डिम्बाशय का न होना अथवा. बहुत छोटा होना होता है। डिम्बाशय का सम्बन्ध पिच्यूट्री ग्लैन्ड से होता है, इसलिए यदि इस ग्लैन्ड में कोई विकार हो तो भी डिम्बाशय का पूरा पालन पोषण नहीं हो सकता है। दूसरा कारण रक्त अल्पता अथवा रक्त का अत्यधिक गाढ़ा हो जाना अथवा कोई पुराने रोग जैसे- मधुमेह, क्षय, कैन्सर, वृक्कों सम्बन्धी रो...

फेलोपियन ट्यूबों का गल जाना,fallopian tube ka gaal jana

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(फेलोपियन ट्यूबों का गल जाना,fallopian tube ka gaal jana) रोग परिचय-कई बार स्त्रियों के फैलोपियन ट्यूबों में घाव हो जाया करते है और कई बार उसका कुछ भाग गल-सड़कर नष्ट हो जाया करता है। घाव होने पर उस स्थान से पीप और पीला बदबूदार तरल गर्भाशय में आकर योनि से निकलता रहता है। साथ ही स्वी के पेडू और कमर में सख्त दर्द होता रहता है और मासिक के समय यह दर्द अधिक होने लगता है तथा मासिक अनियमित आने लगता है। नाली का गल-सड़कर कुछ भाग (हिस्सा) भी नष्ट हो जाता है। इस कारण स्वी का अण्डा (ओवम) डिम्बाशय से गर्भाशय तक नहीं पहुँच पाता है। फलस्वरूप रुग्णा को गर्भ नहीं ठहरता है और वह जीवन भर के लिए बाँझ हो जाती है। यह रोग फैलोपियन ट्यूबों के फट जाने उपदंश और सूजाक आदि रोगों और अन्दर फोड़ा बन जाने के कारण हो जाता है। उपचार-किसी हल्के ऐन्टीसैप्टिक लोशन जैसे- डेटोल, सैवलान, बोरिक एसिड पाउडर अथवा मरक्यूरोक्रोम (चोट, घाव में लगाने वाला लाल टिंक्बर की दवा) अथवा नीम की पत्तियों के क्वाथ आदि से गर्भाशय में डूश करते रहना चाहिए। रक्त को शुद्ध करने वाली औषधियों जैसे-मन्जिष्ठादि क्वाथ, सारिवाद्यारिष्ट, खदिरार...