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जनवरी 10, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गर्भाशय शोथ ,Metritis,garbhasya ki sodh

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(गर्भाशय शोथ ,Metritis,garbhasya ki sodh) रोग परिचय-यह रोग मासिकधर्म बन्द हो जाने अथवा कम आने, अत्यधिक सम्भोग करने, चोट लग जाने, प्रदर काल में सर्दी लग जाने या उण्डे पानी से नहाने-धोने अथवा ठण्डी वस्तुओं का सेवन करने, गर्भाशय में तेज औषधियों के स्थानीय प्रयोग, सूजाक, उपदंश तथा प्रसवकाल में असावधानियों के कारण हो जाता है। आधुनिक चिकित्साशास्खी इस रोग का कारण शोथ उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं को मानते हैं। इस रोग में (नई शोथ में) पेडू में बहुत तेज दर्द और जलन होती है, सर्दी लगकर ज्वर हो जाता है। बार-बार मल-मूत्र का त्याग होता है। प्यास लगती है, जी मिचलाता है, कमर और सीवन में दर्द होता है। यदि गर्भाशय के पिछले भाग में शोथ अधिक हो तो पाखाना करते समय कष्ट होता है। दो-चार दिनों के बाद पीले रंग का लेसयुक्त पानी आना आरम्भ हो जाता है। फिर 8-10 दिन के बाद लक्षणों में कमी आ जाती है और उचित उपचार से रोगिणी ठीक हो जाती है। किन्तु उचित चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में यह रोग पुराना हो जाता है। गर्भाशय की पुरानी शोथ में ज्वर नहीं होता है, किन्तु पेडू पर बोझ प्रतीत होता है, हल्का-हल्का सिर दर्द ...

स्तनों में दूध रुक जाना या जम जाना,Retention or Freezing of Milk,satno mein doodh ka jamna

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(स्तनों में दूध रुक जाना या जम जाना,Retention or Freezing of Milk,satno mein doodh ka jamna) रोग परिचय-यह रोग स्वी के स्तनों की दूध की नलियों या रक्त वाहिनियों के सुकड़ जाने या उनमें रसूलियां हो जाने, दूध की नलियों में गाढ़ी चिपकने वाली कफ रुक जाने सुद्दा उत्पन्न हो जाने, दूध के बहुत अधिक गाढ़ा हो जाने, स्तनों में बहुत अधिक मांस उत्पन्न होकर स्तनों के अन्दर रक्त वाहिनियों के दब जाने, दूध अधिक मात्रा में उत्पन्न होने और अधिकता के फलस्वरूप नलियों में फैसकर रुक जाने, शिशु के दुग्धपान न करने के कारण स्तनों में अधिक मात्रा में दुग्ध के एकत्र हो जाने तथा अत्यधिक गर्मी के कारण दूध का पानी सूख जाने अथवा अत्यधिक सर्दी के कारण दूध के जम जाने के कारण हो जाया करती है। इस रोग में दूध आवश्यकता से अधिक गाढ़ा होकर स्तनों में रुक जाता है और बाहर नहीं निकलता है। यदि काफी समय तक स्वी के स्तनों में दूध रुका रहे तो वह गन्दा और दूषित होकर संक्रमण उत्पन्न करके ज्वर उत्पन्न कर देता है, स्त्री के स्तन अकड़ जाते हैं तथा अत्यधिक दर्द होता है। कई बार तो पीड़ित स्वी को इन कष्टों के कारण सन्निपात (सरसाम...

स्तनों में दूध घट जाना,satno mein doodh ka kam hona

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(स्तनों में दूध घट जाना,satno mein doodh ka kam hona) रोग परिचय-इस रोग में स्वी के स्तनों में इतना कम दूध उत्पन्न होताहै कि उसके शिशु का पेट भी नहीं भरता है, शिशु भूख से बेहाल होकर रोता रहता है तथा रोगिणी के स्तन मुरझा जाते हैं। इस रोग का कारण रक्त कम उत्पन्न होना, रक्त विकार, मासिक धर्म की अधिकता, शरीर से किसी भी रूप से रक्त का अधिक निकल जाना, क्रोध, भय, चिन्ता, शिशु से स्वी का प्यार न करना तथा स्तनों में रक्त संचार की कमी इत्यादि से स्वी के स्तनों में दूध घट जाता है। उपचार-स्तनों पर कैस्टर ऑयल (Castor Oil) की मालिश करें। एलारसिन कम्पनी की टेबलेट लेप्टाडीन (Leptaden) 3 से 4 टिकिया प्रतिदिन गाय या बकरी के दूध से खायें । शक्ति-वर्धक योगों व खाद्य एवं पेय पदार्थों का सेवन करें। दूध, घी, मक्खन, मलाई, गेहूँ का दलिया, मूंगफली, बिनौले की खीर इत्यादि अधिक खायें। शतावरी ताजा अधिक मात्रा में खायें तथा शिशु को रात्रि में दूग्धपान की आदत न डालें।