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योनिद्वार के घाव (Ulcers of Vulva)yoni ke ghav

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(योनिद्वार के घाव (Ulcers of Vulva)yoni ke ghav) रोग परिचय-फोड़े-फुन्सियों के कारण अथवा उपदंश रोग के कारण योनि के चारों ओर घाव हो जाते हैं और उनमें पीप पड़ जाती है जिसके कारण रोगिणी को प्रायः ज्वर भी हो जाया करता है। यदि ये घाव पुराने हों जाये तो रोगिणी को अत्यधिक कष्ट उठाने पड़ते हैं। उपचार नीम के पत्तों के क्वाथ से घावों को धोकर निम्न मरहम लगायें। • गन्धक आमला सार 6 माशा, मुर्दासंग, राल, कमीला, प्रत्येक 6 माशा तथा पारा 2 माशा, नीला थोथा डेढ़ माशा, मेंहदी के पत्ते 6 माशा, मुल्तानी मिट्टी 1 तोला लें। पहले गन्धक और पारा को खूब खरल करके कज्जली बना लें । फिर सरसों के तैल में सभी औषधियाँ डालकर इतना खरल करें कि मरहम बन जाये (सरसों का तैल यदि 1 वर्ष पुराना हो तो अति उत्तम है, शुद्ध व असली भी होना चाहिए ।)