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जलोदर, जल (पेट में पानी पड़ जाना

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              (जलोदर, जल (पेट में पानी पड़ जाना) रोग परिचय-यकृत सम्बन्धी रोग की अन्तिमावस्था ही जलोदर अथवा जलन्धर या पेट में पानी भर जाने के रूप में परिलक्षित होती है। इसमें पेट कोछूने से पानी की लहरें स्पष्ट दिखाई देती हैं। पेट सूजा हुआ दृष्टिगोचर होता है। पेट सूजकर (पानी भरकर) मटके के समान हो जाता है। उपचार • करेले के पत्तों का स्वरस जलोदर के रोगी को उचित मात्रा में कुछ दिनों तक पिलाने से जलोदर में लाभ होता है। इससे पेशाब बढ़ जाता है तथा 1- 2 बार शौच भी हो जाता है तथा जलीयांश कम होने लगता है। • अजवायन को बछड़े के मूत्र में भिगोकर शुष्क कर लें। इसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन कराने से जलोदर में लाभ हो जाता है। • दूब (घास) के पंचांग का फान्ट या रस पिलाने से पेशाब अधिक होकर पेट हल्का हो जाता है। फान्ट या रस के साथ काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पिलाने से जलोदर के साथ-साथ सर्वांग-शौथ में भी लाभ होता है। • पुनर्नवा की जड़ 10 ग्राम को गोमूत्र 20 ग्राम में पीसकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्र खूब खुलकर आने लगता है जिससे जलोदर में लाभ होता है। पथ्य में केव...