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जनवरी 14, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गर्भाशय का बढ़ जाना अथवा छोटा हो जाना,garbh ka badh jana ya chotta ho jana

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(गर्भाशय का बढ़ जाना अथवा छोटा हो जाना,garbh ka badh jana ya chotta ho jana) रोग परिचय गर्भाशय बढ़ना, कई प्रकार का होता है:- गैस भर जाने के कारण गर्भाशय की दीवार में चर्बी जमा हो जाने के कारण, गर्भाशय की सूजन के कारण, गर्भाशय में घाव हो जाने के कारण, बार-बार (अत्यधिक) बच्चों को जन्म देने के कारण, गर्भाशय प्राकृतिक आकार से बड़ा हो जाता है जिसके कारण पीड़ित स्वी को अन्दर से भारीपन प्रतीत होता है। आघात लग जाने तथा उसके पुनः प्राकृतिक स्थिति में नहीं आने, दुर्बलता आदि कारणों से भी गर्भाशय बढ़ जाया करता है। यदि किसी स्त्री का बचपन से ही गर्भाशय छोटा हो तो आरम्भ से ही मासिक कम मात्रा में आता है अथवा बिल्कुल ही नहीं आता है और विवाह के पश्चात् भी यही स्थिति बनी रहती है। स्वी को गर्भ नहीं ठहरता। यदि ठहर भी जाए तो गर्भपात हो जाता है। इस रोग का मुख्य कारण जन्मजात दोष, गर्भाशय का पूर्ण रूप से पोषण न होना, गर्भाशय की रचना किसी कारण से नष्ट हो जाना,स्वी का सम्भोग क्रिया से विरत रहना, गर्भाशय घाव से भर जाना, मैथुन किया की अधिकता, ग्रन्थि दोष तथा गर्भाशय का सिकुड़ जाना इत्यादि है। उपचार गर...

गर्भाशय की दुर्बलता,garbhasya ki kamjori,bachedani ki kamjori

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(गर्भाशय की दुर्बलता,garbhasya ki kamjori,bachedani ki kamjori) रोग परिचय-पोषण के अभाव में गर्भाशय से दुर्बल हो जाता है और इसकी कार्य क्षमता घट जाती है, जिसके फलस्वरूप मासिक भी कम आता हैतथा गर्भ ठहरने को सम्भावनाएं भी कम हो जाती हैं। इस रोग का कारण जन्म से ही गर्भाशय में विकृति, पोषण का पूर्ण अभाव, हर समय उदासीनता और मनोमालिन्य के कारण शरीर सूखकर काँटा हो जाने, बहुत अधिक समय तक सम्भोग क्रिया से वंचित रहने के कारण गर्भाशय में उत्तेजना का अभाव होने, अत्यधिक चिन्ता तथा बाल्यावस्था में विवाह होने से गर्भाशय कमजोर हो जाता है। उपचार-रोगिणी को हर प्रकार से खुश रखें। पौष्टिक और सुमधुर स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ खिलायें। दुख चिन्ता, क्रोध से बचायें। सुख प्रदान करने वाले खेल, मनोरंजन तथा विभिन्न प्रकार के आमोद-प्रमोद में व्यस्त रखें । • मूसली पाक 1 तोला और अश्वगन्धादि चूर्ण 2 माशा एक साथ गाय के गरम दूध से सुबह-शाम सेवन कराना अत्यधिक लाभप्रद है। अतिबला, मुलहठी, बरगद की जटा, खिरैटी, मिश्री तथा नागकेशर प्रत्येक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण कर लें फिर इसे 3 माशा की मात्रा में 6 माशा मधु और...