गर्भाशय की बवासीर, गर्भाशय-अर्श,garbhasya ki bavaseer,arsh
(गर्भाशय की बवासीर, गर्भाशय-अर्श,garbhasya ki bavaseer,arsh) रोग परिचय इस रोग में गर्भाशय के मुख पर छोटे-छोटे गोल मस्से हो जाते हैं। ये मस्से बढ़कर शहतूत की भाँति लटक जाते हैं। यह दशा 'पोलीपस ऑफ यूट्स' कहलाती है। इसमें गर्भाशय के मुख में जलन, खुजली, दबाव और दर्द होता है तथा रक्त आने लगता है। रक्त आने के पश्चात सफेद, लाल या काला सा पानी आने लगता है। उसके बाद कष्ट कम हो जाते हैं किन्तु मासिक धर्म के समय से कष्ट बढ़ जाते है। यह रोग गर्भाशय के मुँह की भीतरी झिल्ली में खराश रहने से वहाँ के रक्त वाहिनियों में रक्त एकत्रित हो जाने से होता है जिसके फलस्वरूप वह फूल जाता है। इस खराश का कारण मासिक बन्द हो जाना अथवा रुक आना होता है। गर्भाशय की शोथ और डिम्बाशय की शोथ तथा कफ के दोषों के कारण भी यह रोग हो जाया करता है। ऐलोपैथी के चिकित्सक आप्रेशन करके इन मस्सों को काट देते हैं। उपचार- शुद्ध गूगल, नीम के बीज की गिरी, बकायन (महानिम्ब) के बीजोंकी गिरी, रसौत, चाकसू (बिना छिलका) काली मिर्च और शुद्ध गन्धक सभी औषधियों को सममात्रा में लें। उन्हें कूट-पीसकर कुकरोंदा के रस में जंगली बेर के ...