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जनवरी 25, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चकत्ते, रक्त चर्म,erythema,garmi loo dhool se hone wale chamdi rog

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(चकत्ते, रक्त चर्म,erythema,garmi loo dhool se hone wale chamdi rog) रोग परिचय-इसे अंग्रेजी में एरीथीमा के नाम से जाना जाता है। कई प्रकार के ज्वर, शोथ, जलन उत्पन्न करने वाले कई रोग, कब्ज, वायु के तेज झकि, गर्मी, लू, धूल आदि के कारण त्वचा शुष्क और लाल वर्ण की हो जाती है तथा उस पर बहुत से लाल धब्बे पड़ जाते हैं। यह एक विशेष प्रकार का चर्म रोग है जिससे त्वचा पर शोथयुक्त लाल चकत्ते एवं चटाख निकल आते हैं। इन चकत्तों में खुजली, जलन और पीड़ा नहीं होती है। इस रोग में आमवात रोग की भाँति सन्धि-स्थलों में दर्द, थकावट और ज्वर कुछ दिनों तक रहता है तथा कभी-कभी दर्द भी होने लगता है। कभी-कभी इनसे छिलके या भूसी सी उतरने लगती है और कभी ज्वर और बेचैनी हो जाती है। चकत्ते अधिक उभरकर छाले बन जाते हैं जिनमें (सीरम) दूषित रक्त या पीप भर जाती है। इस रोग के भी कई प्रकार हैं- लाल रंग के गोल उभरे हुए चकत्ते जिसमें चर्म में रक्त की अधिकता हो जाती है, अँगुलियों पर अत्यधिक लाली फैलती चली जाती है, चकत्ते टांगों और बाजू पर होते हैं, चर्म में शोथ होकर चकत्तों का उभर आना, पेट में वायु दोष से अथवा विषैले प्रभ...

बिवाई फटना (Chil Blains)thand se hath pair ki ungliyon mein soojan,thand se hath pair mein ghav jakham hona

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(बिवाई फटना (Chil Blains)thand se hath pair ki ungliyon mein soojan,thand se hath pair mein ghav jakham hona) रोग परिचय - इस रोग को अंग्रेजी में हैन्डस या चैप्स ऑफ एक्सट्रेमिटीज आदि नामों से भी जाना जाता है। शीत ऋतु में सख्त सर्दी के कारण प्रायः हाथ- पाँव की चर्म फट जाती है और उसमें तीव्र वेदना होती है। कई बार तो चर्म इतनी अधिक फट जाती है कि बड़े-बड़े और गहरे चीरे पड़ जाते हैं। अत्यधिक शीत, सर्दी और बर्फ के प्रभाव से शरीर की त्वचागत रक्त-वाहिनियों में संकोच उत्पन्न हो जाता है जिसके फलस्वरूप रक्त की भीषण कमी हो जाती है और त्वचा सुत्र हो जाती है। इसका विशेष प्रभाव नाक तथा अँगुलियों पर पड़ता है। शीत (सर्दी) या बर्फ में अधिक देर रहने से अंगुलियां संज्ञाहीन हो जाती हैं। कभी ठण्डे और कभी गरम पानी से हाथ-पांव धोना, सर्दी में हाथ-पैर धोकर खुश्क न करना, ठण्डी वायु लगना इत्यादि इस रोग के कारण होते हैं। उपचार- इसकी सर्वोत्तम चिकित्सा ठण्ड से बचना है। पीड़ित स्थान पर सूखी (बगैर तैल आदि लगाये) मालिश करना लाभप्रद है। सूर्य स्नान भी लाभप्रद है। कृत्रिम अल्ट्रावायलेट किरणों का अधिक देर उपय...