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स्तन की चूचियों का घाव ,(Nipple Sore),satan ke ghav

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(स्तन की चूचियों का घाव ,(Nipple Sore),satan ke ghav) रोग परिचय-यह रोग चूंचियों को साफ न करने, दुग्धपान में असावधानी, शिशु द्वारा दुग्धपान करते समय दाँत से काट लेना, रक्तदोष तथा दुग्धपान करने वाले शिशु के मुख पाक हो जाने के कारण स्त्री की चूंची में घाव हो जाते हैं। जिनमें प्रायः जलन होती है, शिशु को दुग्धपान कराने में कष्ट होता है, घाव में अधिक दर्द और कष्ट होने पर रोगिणी को ज्वर भी हो जाता है।उपचार- घाव को नीम के पत्तों के क्वाथ से धोकर साफ करें और सेलखड़ी, मेंहदी के सूखे पत्ते समभाग पीसकर नारियल के तैल में मिलाकर लगायें। रोग अधिक होने पर रक्तशोधक योगों का सेवन करें। जिंक आक्साइड को नारियल के तैल में मिलाकर लगायें या बोरो गिलेसरीन लगायें। शीघ्रपाची व सात्विक भोजन खायें ।