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गर्भाशय का फूल जाना,garbh ka foolna

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(गर्भाशय का फूल जाना,garbh ka foolna) रोग परिचय-इस रोग में गर्भाशय के अन्दर गैस (वायु, हवा) भर जात है अथवा गैस उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण गर्भाशय फूल जाता है। पेडू के स्थान पर उभार और तनाव प्रतीत होता है। इस उभार पर हाथ की थपकी मारने से ढोल जैसी आवाज आती है। रोगिणी के स्तनों में दर्द होता है। वायु के फिरने से पेडू, जाँघ के जोड़ और उदर में खिंचाव के साथ तीव्र वेदना होती है। सम्भोग के समय गर्भाशय से वायु निकलने की आवाज आती है। सामने की ओर झुकने पर तथा पाखाना के समय जोर लगाने पर अथवा खाँसने पर गर्भाशय से बायु निकला करती है। वायु की अधिकता के कारण मूत्र कम मात्रा में तथा बार-बार आया करता है। मल त्याग, कठिनाई और मरोड़ के साथ होता है। जब वायु से सारा पेट फूल जाता है, तब यह जलोदर के समान दिखलाई देने लगता है। याद रखें कि जलोदर रोग होने पर पहले पेट फूलता है जो धीरे-धीरे पेडू तक पहुँचता है और इस स्थिति के ठीक विपरीत गर्भाशय फूल जाने पर अफारा पहले पेडू से प्रारम्भ होकर पेट की ओर बढ़ता है। गर्भ होने पर पेट को ठोकने पर ठोस आवाज आती है और गर्भाशय के अफारा (फूल जाने में) ढोल जैसी आवाज...