चर्म का सख्त हो जाना (Selerderoma)chamdi ka sakha hona,chamdi ka ilaj
चर्म का सख्त हो जाना (Selerderoma)chamdi ka sakha hona,chamdi ka ilaj रोग परिचय- इस रोग को त्वक काठिन्य (प्रोगेसिव स्स्टेिमिक स्केलोरिस) के नाम से भी जाना जाता है। इस चर्मरोग में त्वचा मोटी, चमकहीन और भद्दी हो जाती है, लचक नहीं रहती है। प्रायः चेहरा, गर्दन, कन्धों, छाती और बाजुओं के समीप की नर्म सख्त होना प्रारम्भ हो जाती है और फिर धीरे-धीरे यह शरीर के निचले भाग में फैल जाता है यहाँ तक कि अंगुलियों की चर्म सख्त हो जाती है। रोग के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रत्येक प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में कठिनाई हुआ करती है। इस रोग में पसीना बहुत कम आता है और चर्म की चिकनाहट भी कम हो जाया करती है। अन्त में चर्म पर बनफशी रंग के या काले रंग के दाग पड़ जाया करते हैं। यह रोग भी हठीले किस्म का होता है जो मुश्किल से ठीक हुआ करता है। एड्रीनल ग्लैन्ड, थायरायड ग्लैन्ड और दूसरे ग्लैन्डों के दोष या हारमोन्स सम्बन्धी दोष- सर्दी लगना, कई प्रकार के दुख, चिन्ता, वृक्क रोगों आदि के कारण उत्पन्न हुआ करता है।उपचार-चर्म पर तैल की मालिश करें। चर्म को गरम रखें। चर्म को सर्दी से बचायें। यदि वृक्कों में कोई दोष...