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डिम्बाशय पर अस्थायी झिल्ली आ जाना(False membrane of ovary)bachedani ke mooh par jhili ka ana

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(डिम्बाशय पर अस्थायी झिल्ली आ जाना(False membrane of ovary)bachedani ke mooh par jhili ka ana) रोग परिचय-खियों के इस रोग में डिम्बाशय के बाहरी स्थान पर एक कठोर झिल्ली उत्पन्न हो जाती है। इस रोग के उत्पन्न होने का मुख्य कारण डिम्बाशय का पुराना शोथ होता है। क्योकि डिम्बाशय से निकला गाढ़ा तरल झिल्ली का रूप धारण कर लेता है, तब उस झिल्ली के अन्दर पतला द्रव धीरे-धीरे एकत्रित होकर (Ovarian dropsy) (डिम्बाशय में पानी पड़ जाना) का रूप धारण कर लेता है। झिल्ली कठोर और मोटी होकर डिम्बाशय की (रचना पर हर समय दबाब डालती रहती है जिसके कारण वह धीरे-धीरे दबकर छोटी होती चली जाती है जिसको 'डिम्बाशय क्षय' कहते है । नोट-यदि दोनों डिम्बाशय इस रोग से बेकार हो जाये तो स्त्री के बांझ हो जाने के अतिरिक्त, उसको मासिक आना भी बिल्कुल बन्द हो जाता है। कई बार तो इस रोग से पीड़ित स्त्री के डिम्बाशय का आकार इतना अधिक छोटा हो जाता है कि वह मात्र छोटी सी गुठली के बराबर रह जाता है। रोग पुराना हो जाने पर इसके स्वीत्त्व गुण बिल्कुल घट जाते हैं। उपचार-पेडू पर (झिल्ली) को घुला देने वाले गरम तैलों की मालिश ...

डिम्बाशय-शोथ, डिम्बाशय-प्रदाह,dimbasya ki soojan,bachedani mein soojan

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(डिम्बाशय-शोथ, डिम्बाशय-प्रदाह,dimbasya ki soojan,bachedani mein soojan) रोग परिचय- इस रोग में प्रायः स्वी के एक ही डिम्बाशय में शोथ आती है और दूसरा बचा रहता है। दायां डिम्बाशय बांये डिम्बाशय की अपेक्षा अधिक रोग-ग्रस्त हुआ करता है। यह रोग चिकित्सा की दृष्टि से दो प्रकार का होता है- 1. एक्यूट (नया), 2. क्रोनिक (पुराना) । नयें डिम्बाशय शोथ में थोड़ी-थोड़ी देर बाद तीव्र दर्द होता है और हल्का दर्द हर समय बना रहता है। कई बार तो दर्द की अधिकता के कारण रुग्णा बेहोश हो जाती है। कभी-कभी हिस्टीरिया के दौरे भी पड़ने लगते हैं। सम्भोग के समय तीव्र दर्द होता है। ज्वर रहता है। पेडू, कमर व जंघा में दर्द रहता है। पीड़ित डिम्बाशय की ओर की जांघ को दबाने से दर्द बढ़ जाता है। खड़ा होने पर पैर काँपने लगते हैं और दर्द बढ़ जाता है। रोगिणी को प्रायः कब्ज रहती है और पाखाना के समय बहुत अधिक जोर लगाना पड़ता है। कई बार पेचिश भी होजाती है। मितली, कै, हाजमा की खराबी तथा भूख की कमी हो जाती है। मूत्र लाल रंग का अल्प मात्रा में कष्ट से आता है। पेडू को टटोलने से डिम्बाशय की शोथ प्रतीत होती है। यदि शोथ में पी...