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ज्वर, पुराना ज्वर (बुखार)

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                      .                 (ज्वर, पुराना ज्वर (बुखार) रोग परिचय-सामान्य अवस्था में मनुष्य के शरीर का तापमान 98.5 डिग्री से ऊपर हो जाये तो ज्वर समझना चाहिए। यही ज्वर जब काफी समय तक चले, तब पुराना ज्वर कहलाता है। ज्वर कई प्रकार का होता है। जैसे:- इन्फ्लूएन्जा, टाइफाइड, डेंगू, प्रसूति, ज्वर, लाल ज्वर, काला ज्वर आदि ।                       (उपचार) • अजमोद का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में नित्य जल के साथ सेवन करने से जीर्ण-ज्वर में लाभ होता है। • ज्वर की अवस्था में जब प्यास अधिक लगे तो अडूसा पत्र (वासा) जल कर उबाला हुआ पानी पिलाने से प्यास का वेग शान्त होकर ज्वर का वेग भी कम हो जाता है। • वात श्लैष्मिक ज्वर (यह ज्वर प्रायः ऋतु परिवर्तन के समय बरसात में भीगने आदि कारणों से होता है। नाक बहना, शरीर में दर्द तथा ज्वर आदि लक्षण होते हैं) में 6 ग्राम अदरक का रस, समभाग शुद्ध मधु (शहद) मिलाकर दिन में 3-4 बार चटाने से लाभ हो ...