संदेश

फ़रवरी 5, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चर्म की खुश्की, चर्म का खुरदरा हो जाना,dry skin,chamdi ki khuski

चित्र
चर्म की खुश्की, चर्म का खुरदरा हो जाना,dry skin,chamdi ki khuski रोग परिचय-इस रोग को शल्की त्वचा भी कहा जाता है। इस रोग में बर्म शुष्क और खुरदरी हो जाती है और चर्म से मछली की भाँति छिलके उतरते रहते हैं। जोड़ों, हथेलियों और तलवों के अतिरिक्त सम्पूर्ण शरीर के चर्म से छिलके उतरते हैं। नाखून भुरभुरे और शुष्क, बाल पतले और चमकहीन हो जाते हैं। पसीना कम आने लगता है। प्रायः यह चर्मरोग आनुवंशिक या पैत्रिक होता है। विटामिनों की कमी से भी यह रोग उत्पन हो जाया करता है। ि उपचार काडलिवर आयल (मछली का तैल) की मालिश तथा विटामिन ए. युक्त भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करना लाभप्रद है। अधिक नहाना तथा साबुन का प्रयोग हानिकारक है। प्रातःकाल सूर्य-स्नान करना लाभप्रद है। चर्म पर खुश्की और शुष्कता उत्पन्न करने वाली वस्तुओं का सेवन करना त्याग दे ।• गाय या बकरी के दूध में उन्नाव का शर्वत मिलाकर पीना तथा बादाम या कद्दू के तैल की मालिश करना लाभकारी है • मीठे बादामी की गिरी (छिलका रहित) 6 नग, सफेद खशखश के बीज 12 ग्राम, मीठे कद्दू के बीजों की गिरी 12 ग्राम, चिरौंजी की गिरी 18 ग्राम, काले तिल भुने हुए 18 ग्र...

पसीना अधिक आना (Hyperidrosis)exessive sweeting, zayada paseena ana

चित्र
पसीना अधिक आना (Hyperidrosis)exessive sweeting, zayada paseena ana रोग परिचय-इस रोग को अति स्वेदलता भी कहा जाता है। वैसे तो गर्मी व्यायाम अथवा अन्य किसी परिश्रम के फलस्वरूप भी पसीना बहने लगता है किन्तु कई रोगों के कारण भी अधिक पसीना आने लगता है। क्षयजन्य क्षीणता, किसी भी कारण से उत्पन्न कमजोरी, स्नायविक विकार, तन्त्रिका संस्थान की कमजोरी, धातु क्षीणता, स्मरण शक्ति की कमी, सामान्य दुर्बलता, अरुचि मन्दाग्नि, मलेरिया बुखार, फेफड़ों का क्षय, रक्त का दूषित और पीपयुक्त हो जाना एवं तीव्र ज्वरके समय और अस्थिमृदुता आदि रोगों में अधिक पसीना आना एक प्रमुख लक्षण होता है। उपचार रोग के मूल कारण को दूर करना ही वास्तविक उपचार है। पाचन क्रिया का सुधार करें। यदि शरीर में दूषित तरल की अधिकता के कारण पसीना अधिक आता हो तो उसे निकालें । नोट-ज्वर अथवा अन्य तीव्र रोग दूर र होने के समय आने बाले पसीने को कदापि रोकने का प्रयास र करें, अन्यथा मरिणाम गम्भीर हो सकते हैं। • मीठी निर्बसी, जायफल, जावित्री, केसर प्रत्येक 3-3 ग्राम लें। शिंगरफ, अफीम, लौहवान का सत, मंदी भस्म प्रत्येक डेढ़ ग्राम, कस्तूरी 1 ग्र...