संदेश

नाड़ी शूल लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नाड़ी शूल, स्नायुशूल /न्यूरेल्जिया/Trigeminal Neuralgia

चित्र
  नाड़ी शूल, स्नायुशूल /न्यूरेल्जिया/Trigeminal Neuralgia रोग परिचय-स्नायुशूल उस दर्द को कहा जाता है जो विशेष दोष से पैदा होता है। जैसे माथे की भवों में मलेरिया के कारण दर्द हो जाना दाँतदर्द के प्रभाव से चेहरे में दर्द या मासिकधर्म के दोष के कारण स्वी, के स्तन' या आधे सिर का दर्द होना। वैसे प्रायः दर्द चाहें किसी भी कारण से किसी भी रोगी को हो किन्तु उस दर्द का ज्ञान तन्त्रिका द्वारा प्रतीत होता है। स्नायुशूल दौरों के रूप में हुआ करता है। रोगी को ज्वर या शोध नहीं होता है केवल दर्द होता है। स्नायुशूल (न्यूरेल्जिया) में तन्त्रिका या स्नायु में दर्द प्रतीत होता है किन्तु वात नाड़ी शोथ 'न्यूराइटिस' में तन्त्रिका में शोथ और दर्द भी होता है। एकाएक दर्द शुरू होकर बढ़ता जाता है और फिर तुरन्त ही दूर हो जाता है अर्थात् यह दर्द दौरों के रूप में हुआ करता है जबकि 'वात नाड़ी शूल' हर समय होता रहता है और रोगग्रस्त भाग को हिलाने या दबाने से दर्द बढ़ जाया करता है। नाड़ी में संज्ञाहीनता और पक्षाघात होने जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं किन्तु सदैव यादरखें कि नाड़ी शूल में नाड...