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जनवरी 30, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छीप, भूसी, रूसी,cheep,bhusi,roosi rog

छीप, भूसी, रूसी,cheep,bhusi,roosi rog रोग परिचय-मैला कुचैला रहने से, बासी और खराब तथा गरिष्ठ भोजन खाने से चेहरा, छाती, पेट, गर्दन या बाजुओं पर छोटे-छोटे पीलाहट-युक्त या भूरे अथवा लाल रंग के दाग पड़ जाते हैं। उस स्थान पर भूसी लगी हुई प्रतीत होती है। इस रोग का कारण एम. फरका नामक फंगस (फफूदी) का संक्रमण है। रोगी की छूत उसके कपड़े पहनने या उसके बिस्तर में सोने से लग जाती है। चिकित्सीय दृष्टिकोण से यह कई प्रकार की हुआ करती है।उपचार • मालती के पत्ते, चित्रकमूल, करंज के बीज की गिरी, प्रत्येक 50-50 ग्राम लेकर पानी से पीसकर लुग्दी सी बना लें। तिल का तैल 1 कि. और पानी 4 ली. को मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब तेल मात्र शेष रह जाए तब कपड़े से छानकर सुरक्षित रखलें। इसे आक्रान्त भाग पर दिन में 2-3 बार लगायें। लाभप्रद है। • नीम के पत्ते, गिलोय, बकायन के पत्ते, पित्त पापड़ा, अनन्तमूल (प्रत्येक 50-50 ग्राम) 8 गुना पानी मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब आठवां भाग शेष रहे तब कपड़े से छानकर दुबारा इतना पकायें कि अवलेह सा बन जाए फिर धूप में रखकर बिल्कुल खुश्क करके पीस लें। इस चूर्ण में 60 ग्राम श्वेत चन्दन, रक्त च...

अंगुलबेल, अंगुलीपाक (Whitlow)nakhoono ke rog,angulipak,ungliyon ke ghav

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(अंगुलबेल, अंगुलीपाक (Whitlow)nakhoono ke rog,angulipak,ungliyon ke ghav) रोग परिचय-अंगुली के नख के किनारे की त्वचा में कभी एक ओर कभी 1 से अधिक कील की तरह गढ़ती हुई कठोर, पतली और नुकीली चर्म की लघुसंरचना प्रकट होती है जिसके कारण आक्रान्त अंगुली में पीप, प्रदाह, शोथ, दर्द, जलन की अधिकता, ज्वर, बेचैनी ये लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। यह रोग केवल अंगुली के नाखून के अग्रभाग अथवा बीच में हुआ करता है। अंगुली के नाखूनों के किनारे के नुकीले कील समान त्वचा को खोटने, नाखून काटते समय असावधानी के कारण नख माँस (Nail Matrix) के कट जाने, नाखून पर चोट लगने, जल जाने, अंगुली या नख मांस में कील, काँटा, पिन, शलाका इत्यादि के चुभ जाने के कारण अंगुली में पीप उत्पन्न होकर यह रोग हो जाता है। उपचार 48-02-08 • सुहागा को जल में घिसकर आक्रान्त अँगुली पर लेप करें। लेप के सूख जाने पर कपूर मिले हुए नारियल के तैल को दिन में 2-3 बार लगायें । लाभप्रद योग है। • पीली कटैय्या (करेली) की जड़ की छाल, पीपल की जड़ की छाल, नीम के पत्ते, सहजना की जड़ की छाल, शंखपुष्पी के पत्ते, छोटी हरड़ का बक्कल आंवला के बक्कल, मेंहदी...