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जनवरी 26, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शुष्क खुजली (Dry Scabies)sukhi khujli,khuski

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(शुष्क खुजली (Dry Scabies)sukhi khujli,khuski) रोग परिचय-खुजली के रोगी का कपड़ा पहनने या उसके साथ रहने, लेटने, सोने से सारकौटिप्स स्केबी नामक कीटाणु स्वस्थ मनुष्य के बाहरी चर्म में छेदकर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इनके विष से रक्त के श्वेत एवं लाल कणों के नष्ट हो जाने के कारण न पकने वाली छोटी-छोटी सूखी फुन्सियाँ निकल आती है तथा चर्म में प्रदाह हो जाता है आक्रान्त त्वचा का रंग खराब हो जाता है। उसमें तीव्र खुजली होती है। यह विशेषकर हाथ-पैर, कक्ष, मलद्वार, अन्डकोषों और योनि पर होती है। बार-बार खुजलाने से शरीर के अन्य भागों पर भी खुजली हो जाती है। यह रोग गन्दा रहने से भी हो जाता है। उपचार-खुजली वाले रोगी को सर्वप्रथम विरेचन देकर पेट साफ करायें। • नीम की कोपलें, चिरायता, कुटकी और सनाय प्रत्येक 12 ग्राम लेकर पीसलें और 250 ग्राम जल में रात्रि को भिगोकर रखें। प्रातः काल छान कर सेवन करने से 1-2 सप्ताह में ही सूखी खुजली जड़ से नष्ट हो जाती है। नीला तूतिया, पारा, गोल मिर्च (प्रत्येक 1-1 ग्राम), बन्दूक का बारूद 3 ग्राम, घी 13 ग्राम को घोटकर लेप बनाकर खुजली के स्थान पर मलें। फिर 4 घंट...

बालों की जड़ों की पुरानी शोथ,Barbers Itch, DeLekee Sycosis Barbee,balon mein khuski,balon mein sikari,dandraff

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(बालों की जड़ों की पुरानी शोथ,Barbers Itch, DeLekee Sycosis Barbee,balon mein khuski,balon mein sikari,dandraff) रोग परिचय-इसे अंग्रेजी में (Barbers Itch, DeLekee Sycosis Barbee) के नाम से जाना जाता है। यह भी एक हठीला रोग है जो काफी लम्बे समय तक परेशान करता है। यह प्रायः दाढ़ी और सिर के बालों की जड़ों में हुआ करता है। इस रोग में त्वचा के रोम कूपों में पुरानी सूजन होती है जिसके कारण पीपयुक्त, पीली फुन्सियों उत्पन हो जाती हैं। पीप निकलकर और सूखकरखुरन्ड बन जाते हैं। इस रोग के कारण बाल कमजोर होकर झड़ने लग जाते हैं तथा इसकी छूत एक से दूसरे व्यक्ति को भी लग जाती है। यह रोग स्टेफिलीकोक्कस नामक कीटाणु के संक्रमण से उत्पन्न होता है। उपचार • 101 बार का धुला हुआ भी 250 ग्राम, सफेदा और कपूर 12-12 ग्राम, उत्तम (बढ़िया) सिन्दूर 6 ग्राम और चन्दन का तैल 18 ग्राम लें। सभी औषधियों को घी में रगड़कर मरहम बनाकर रोगाक्रान्त चर्म पर मलें। यह समस्त प्रकार के चर्म रोगों का नाराक बाह्य प्रयोगार्थ योग है। • शुद्ध आँवलासार गन्धक 12 ग्राम, चिरायता 24 ग्राम, सौंफ चूर्ण 24 ग्राम, नीम का तैल 6 मि.ली. सभी ...