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दमा, श्वांसरोग (ASTHAMA)

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              (दमा, श्वांसरोग (ASTHAMA) रोग परिचय-फेंफड़ों में वायु का संचार करने वाली अनेक नलिकाओं का जाल सा बिछा है, जो छोटी-छोटी माँसपेशियों से ढंकी रहती हैं। इन्हीं मांसपेशियों में जब आक्षेप, अकड़न, तनाव, सिकुड़ाव उत्पन्न होता है, तब रोगी को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। बस, यही श्वांस रोग है जो दमा, श्वांस की बीमारी, आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है। अपने देश में ग्रामीणांचलों में यह रोग बहुतायत में पाया जाता है। उपचार • धतूरे का 1 बीज 8 दिनों तक प्रातः काल पानी से निगल लें। दूसरे सप्ताह 2-2 बीज निगलें। इसी प्रकार प्रत्येक सप्ताह 1-1 बीज बढ़ाते हुए पाँचवे सप्ताह में 5-5 बीज प्रतिदिन निगलें। पुराने से पुराना दमा इस प्रयोग से नष्ट हो जायेगा। • करील की लकड़ी की भस्म 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन पान के साथ खाने से 15-20 दिन के प्रयोग से ही दमा रोग दूर हो जाता है। • सिन्धी भाषानुसार पटपेरू या काला नमक घास का शाक मात्र 3 दिन खाने से ही श्वास-कष्ट दूर हो जाता है। • आक के 250 ग्राम बन्द फूल लेकर आधा किलो गौदुग्ध में उबालें और छाया में ...