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धातु दौर्बल्य, नपुंसकता, मरदाना कमजोरी, सामान्य दुर्बलता (Impotancy And General Weakness

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(  धातु दुर्बलता, नपुंसकता, सामान्य दुर्बलता (Impotancy And General Weakness) नपुंसकता- इसमें रोगी आशिंक या पूर्ण रूपेण स्वी (पत्नी) को यौन सुख (सम्भोग क्रिया) दे पाने में असमर्थ हो जाता है। पुरुष का शिश्न (लिंग) इतनादुर्बल हो जाता है कि उसमें उत्थान नहीं हो पाता है। इस रोग में यदि शारीरिक या मानसिक दुर्बलता हो तो उसको निर्मूल किया जा सकता है। यदि यह दोष पैतृक है तब उसको ठीक नहीं किया जा सकता। वैसे प्रायः 99 प्रतिशत यह रोग मानसिक अथवा शारीरिक कमजोरी (दुर्बलता) के परिणाम स्वरूप प्रकट होता है। उपचार • अमलतास की छाल का महीन चूर्ण 1-2 ग्राम की मात्रा में दो गुनी शक्कर मिलाकर 250 ग्राम नेगुनगुना गौ दुग्ध के साथ नित्य सुबह शाम सेवन करने से अपार बल व वीर्य की वृद्धि होती है। • अश्वगन्धा का चूर्ण कपड़छन कर (खूब मैदे की भाँति कर लें) इसमें चौथाई भाग उत्तम गौघृत मिलाकर आपस में खूब खरल कर एक स्वच्छ पात्र में रख लें। इसे 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के वीर्य विकारों में लाभ होकर बल व वीर्य की वृद्धि होती है। • अश्वगन्धा में (कब्ज न करते हुए) पतली धा...