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विरेचन (जुलाब) हेतु कुछ अन्य उपयोगी योग,constipation, kabaz ka ilaaj

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विरेचन (जुलाब) हेतु कुछ अन्य उपयोगी योग,constipation, kabaz ka ilaaj • रूमीमस्तंगी 3 ग्राम, मिश्री 6 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर (यह 1 मात्रा है) रात्रि में सोते समय गर्म पानी या गरम दूध से लें। लगातार 3-4 दिन तक सेवन से कोष्ठबद्धता (कब्ज) से सदा-सदा के लिए छुटकारा मिल जाता है। • जुलाफा हरड़ 3 ग्राम, मिश्री 3 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर फाँकने से तथा ऊपर से गरम जल पीने से कब्ज दूर हो जाती है। चाहें कितना ही सख्त मेदा हो, यह योग निष्फल नहीं होता है। • स्वर्णक्षीरी (सत्यानासी) के 10 ग्राम बीज को हाथ में लेकर कई बार जोर-जोर से दबाने से टट्टी की हाजत होकर दस्त आ जाता है। • सोये के बीजों को पानी में पीसकर गुदा पर लेप करने से तुरन्त दस्त आ जाता है। अनुभूत योग है।

गठिया, जोड़ों का दर्द, आमवात, सन्धिवात,arthritis, jodon ka dard ka ilaj

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गठिया, जोड़ों का दर्द, आमवात, सन्धिवात,arthritis, jodon ka dard ka ilaj  रोग परिचय-इस रोग में रोगी को तीव्र ज्वर हो जाता है। शरीर के किसी एक कई जोड़ों में शोध हो जाती है और उनमें बहुत ही तीव्र दर्द होता है। यह रोग कई प्रकार का हुआ करता है जैसे- बच्चों और युवाओं में गठिया का ज्वर, बूढ़ों में आर्थराइटिस, फाईब्रोसाइटिस, चूतड़ का दर्द, घुटने के जोड़ का दर्द इत्यादि। यह रोग चिकित्सीय दृष्टिकोण से 2 प्रकार का माना जाता है। 1- नया (एक्यूट), 2. पुराना (क्रोनिक) ।नये रोग में रोगी को ज्वर होकर जोड़ सूज जाते हैं और उनमें सख्न दर्द होता है। यह दर्द कभी एक जोड़ में होता है और कभी किसी दूसरे जोड़ में होता • है। दर्द और शोथ के स्थान बदलते रहते हैं। पुराने रोग में जो जोड़ बहुत अधिक सूजकर मोटे हो जाते है और प्रायः जुड़ जाते हैं, उन्हें हिलाना भी कठिन हो जाता है। यह रोग वर्षों तक रहता है और हर जोड़ में रोग हो जाता है। यह रोग एक विशेष प्रकार के कीटाणु (स्ट्रप्टो कोक्स और हेमालाइटित्स) से होता है। ये कीटाणु गले और टान्सिल द्वारा रोगी के शरीर में चले जाते हैं। यह रोग 4 वर्ष से 15 वर्ष के बच...