घाव में कृमि पड़ जाना (Worms in Woulds)maggots in the wound,ghav mein keede pad jana
घाव में कृमि पड़ जाना (Worms in Woulds)maggots in the wound,ghav mein keede pad jana रोग परिचय-कभी-कभी असावधानी के कारण रिसते हुए घाव को खुला छोड़ देने पर उस पर मक्खियों (लार्वा) छोड़ देने से पीप एवं रक्व में सम्पर्क पाकर वे मांस को काट-काट कर खाते रहते हैं जिसके कारण रोगी को भयंकर दर्द और कष्ट होता है। कभी-कभी तो काटते-काटते वह अन्दर से रक्त तक निकाल देते है। धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ती रहती है, क्योंकि मक्खियाँ बार-बार उस घाव पर बैठकर अण्डे छोड़ती रहती हैं। उपचार घाव के आस-पास खान्ड के दाने छोड़ देने से खाने के लोभ में की बाहर निकल आते हैं, उन्हें विसंक्रिमत (खौलते पानी में उबालकर) साफ की चिमटी से पकड़-पकड़ कर बाहर निकाल दें।薬局 • उक्त घाव के पार्श्व भाग में या समीप में तारपीन के तेल से तर रुई की फुरैरी रखने से, इसकी गन्ध से व्याकुल होकर पिल्लू बाहर निकलकर घाव पर रखी हुई रुई में चिपक जाते हैं, जिन्हें चिमटी से से पकड़कर बाहर निकाल लेना चाहिए । • घाव में कार्बोलिक एसिड (फेना) का आधा से 1 प्रतिशत तैलीय लोशन डाल रूई की फुरैरी रखने से, पिल्लू (कीड़े) मर-मर कर श्वास लेने के लिए...