संदेश

वृक्कशूल लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वृक्कशूल, गुर्दा का दर्द (रेनल कालिक)

चित्र
            (वृक्कशूल, गुर्दा का दर्द (रेनल कालिक) रोग परिचय- इसे अंग्रेजी में 'रीनल कॉलिक' (Renal Calic) के नाम से जाना जाता है ! इस रोग में जब पथरी वृक्क में होती है तो रोगी की कमर में धीमा-धीमा दर्द प्रतीत होता है किन्तु जब यह पथरी गुर्दे से निकल कर मूत्र प्रणाली (गवीनी) (Ureter) में पहुँचकर फँस जाती है तो रोगी को तड़पा देने वाला दर्द होने लग जाता है। यह दर्द वृक्कों के स्थान से प्रारम्भ होकर पुरुषों में खसियों (वृषणों या अन्डकोषों) तक और स्वियों में गुप्तांगों और जाँघों तक पहुँचता है। इस रोग में मूत्र बार-बार आता है तथा मूत्र में रक्त भी आ सकता है तथा यह दर्द तब तक होता रहता है जब तक कि पथरी गवीनी से चलकर मूत्राशय में नहीं पहुँच जाती है। रोगी को मितली और के भी आती है। यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है। एक्स-रे लेने पर पथरी का प्रमाण मिल जाता है तथा पथरी खश-खश के दाने से लेकर नारंगी जितने आकार तक की हो सकती है। बड़ी पथरी में शल्य क्रिया आवश्यक है। छोटी पथरी को खाने की औषधियों से निकाला तथा पुनः पुनः (बार-बार) बनने से रोका जा स...