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फ़रवरी 6, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गट्टा, आटन, गोरखुल ,foot Corn,pair ki gathering ka ilaj

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गट्टा, आटन, गोरखुल ,foot Corn,pair ki gathering ka ilaj रोग परिचय-तंग जूता पहनने के कारण उसके दबाव और रगड़ से प्रायः पाँव के अँगूठे या छोटी अँगुली के जोड़ की त्वचा सख्त हो जाया करती है। पैरों के तलुवों में कांटा, सुई, कांच का टुकड़ा, लोहे की कील आदि चुभ जाने के कारण भी पैर के तलुवे की चर्म में सख्त गाँठ बन जाया करती है। जिसमें चलते समय सख्त दर्द होता है। उपचार-तेज ब्लेड या उस्तरे से गोरखुल को काटकर उसको जड़ से (सख्त मांस को छील-छील) निकालें इसके सबसे नीचे छिद्र में पीप जमा रहती है। इस छिद्र को त्वचा की ओर काटकर समस्त पीप को हाइड्रोपर, आक्साइड (आग उत्पन्न कर जख्म, पीप आदि साफ करने वाली (H2) हाइड्रोजन आक्सीजन का घोल या एक्रिफ्लेबिन लोशन (पीला टिंक्बर बनाने वाली दवा जिससे डाक्टर लोग साधारण जख्मों की पट्टी) ड्रेसिंग करते हैं से साफ करके उसको रुई से भली-भांति पोंछकर उसमें विशुद्ध कार्बोलिक एसिड 1-2 बूंद डाल दें, फिर पट्टी बाँधे । तदुपरान्त साधारण जख्मों की भाँति उपचार कर ठीक कर लें। कार्बोलिक एसिड के अभाव में कार्नेक निर्माता (बी.सी.) का प्रयोग कर सकते हैं। या गट्टे को गरम पानी ...

चर्म का सख्त हो जाना (Selerderoma)chamdi ka sakha hona,chamdi ka ilaj

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चर्म का सख्त हो जाना (Selerderoma)chamdi ka sakha hona,chamdi ka ilaj रोग परिचय- इस रोग को त्वक काठिन्य (प्रोगेसिव स्स्टेिमिक स्केलोरिस) के नाम से भी जाना जाता है। इस चर्मरोग में त्वचा मोटी, चमकहीन और भद्दी हो जाती है, लचक नहीं रहती है। प्रायः चेहरा, गर्दन, कन्धों, छाती और बाजुओं के समीप की नर्म सख्त होना प्रारम्भ हो जाती है और फिर धीरे-धीरे यह शरीर के निचले भाग में फैल जाता है यहाँ तक कि अंगुलियों की चर्म सख्त हो जाती है। रोग के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रत्येक प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में कठिनाई हुआ करती है। इस रोग में पसीना बहुत कम आता है और चर्म की चिकनाहट भी कम हो जाया करती है। अन्त में चर्म पर बनफशी रंग के या काले रंग के दाग पड़ जाया करते हैं। यह रोग भी हठीले किस्म का होता है जो मुश्किल से ठीक हुआ करता है। एड्रीनल ग्लैन्ड, थायरायड ग्लैन्ड और दूसरे ग्लैन्डों के दोष या हारमोन्स सम्बन्धी दोष- सर्दी लगना, कई प्रकार के दुख, चिन्ता, वृक्क रोगों आदि के कारण उत्पन्न हुआ करता है।उपचार-चर्म पर तैल की मालिश करें। चर्म को गरम रखें। चर्म को सर्दी से बचायें। यदि वृक्कों में कोई दोष...