संदेश

दिसंबर 24, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आन्त्रिक ज्वर (मोतीझरा, या, टायफाइड)

चित्र
(आन्त्रिक ज्वर (मोतीझरा, या, टायफाइड) रोग परिचय - आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसे टायफाइड के नाम से जाना जाता है। इसमें पहले दिन साधारण ज्वर आता है। दूसरे दिन तीव्र ज्वर हो जाता है। गले, पीठ और छाती पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं। प्रायः 24 घंटों के अन्दर इन दानों में जल भर जाता है जिसके फलस्वरूप यह दाने मोती की भांति चमकने लगते हैं। इसीलिए इसे मोतीझरा के नाम से भी जाना जाता है। धीरे-धीरे यह दाने सूख जाते हैं जिससे ज्वर भी मन्द पड़ जाता है तथा दानों की पपड़ी उतर जाती है। उपचार बच्चों को मोती भस्म 15 से 30 मि.ग्रा. दिन में 2 बार मधु से चटाना अत्यन्त ही लाभप्रद है।• महासुदर्शन चूर्ण (भै. र.) बच्चों को 1 से 2 ग्राम तक गरम जल से प्रत्येक 4-6 घंटे पर देना लाभकारी है। • गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है। • अजमोद का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ सुबह शाम चाटने से लाभ होता है। • मोथा, पित्त पापड़ा, मुलहठी, मुनक्का चारों को समभाग लेकर अष्टावशेष क्वाथ करें। इसे शहद डालकर पिलाने से ज्वर, दाह, भ्रम व वमन आदि नष्ट होते हैं। • अनबिंधे मोत...

मासिक धर्म,ब्लड पीरियड रक्त प्रदर (Menorrhoea)

चित्र
      मासिक धर्म,ब्लड पीरियड रक्त प्रदर (Menorrhoea) ( मासिक धर्म,ब्लड पीरियड   रक्त प्रदर (Menorrhoea) रोग परिचय-रक्तप्रदर मासिकधर्म (माहवारी) में आने वाले रक्त की अधिकता को कहा जाता है। इसमें रोगी स्वी की दुर्बलता, हीनता आदि विकार रहते हैं। इसे अति आर्तव (मासिकधर्म की अधिकता) के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में मासिकधर्म बहुत अधिक मात्रा में तथा कभी-कभी नियत दिनों से बहुत अधिक दिन तक आता रहता है।इस रोग का कारण गर्भाशय-शोध, गर्भाशय का झुक और टल जाना, गर्भाशय के घाव और अर्श, डिम्ब-ग्रन्थियों और डिम्ब प्रणालियों की शोथ, गर्भाशय की कमजोरी, प्रसव के बाद गर्भाशय का पूरी तरह से सिकुड़ कर अपनी वास्तविक दशा पर वापस न आना, गर्भाशय का कैन्सर, अत्यधिक मैथुन, गर्भपात, अधिक सन्तान उत्पन्न करने के बाद गर्भाशय का ढीला पड़ जाना, रसौली, चोट लग जाना या बच्चा कठिनाई से उत्पन्न होने के कारण गर्भाशय की शिराओं का फट जाना, रक्त संचार में गड़बड़ी करने वाले रोग (हाई ब्लड प्रेशर, हृदय गति का कम हो जाना, हृदय कपाटों के रोग, यकृत रोग इत्यादि), ग्लैन्डज और डिम्व ग्रन्थियों ...