मूत्राशय की पथरी का दर्द,शुक्राशय की पथरी का दर्द)
(मूत्राशय की पथरी का दर्द,शुक्राशय की पथरी का दर्द) रोग परिचय-पथरी मूत्राशय में होने पर रोगी को वृक्कशूल की ही भाँति तड़पा देने पाला दर्द होता है। यह दर्द मूत्राशय, गुर्दा और वृषणों मध्य के स्थान (सीवन) और पुरुषों में (लिंग) के अग्रभाग (सुपारी या सुपाड़ा) तक में होता है। यह दर्द मूत्र त्याग के समय अथवा मूत्र त्यागने के पश्चात् अधिक बढ़ जाताहै। रोगी को बार-बार गाढ़े रंग का मूत्र आता है। पथरी मूतशय के मुख में फँस जाने पर मूत्र रुक-रुक कर आने लगता है या बिल्कुल ही बन्द हो जाता है। यदि पथरी काफी समय तक मूत्राशय में पड़ी रहे तो मूत्राशय का आकार तथा रचना बिगड़ जाती है। बच्चों को यह रोग होने पर मूत्र त्यागने के बाद कष्ट के कारण रोना-चीखना पड़ जाता है तथा कष्ट के लक्षण चेहरे पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं। बच्चा अपने लिंग (सुपारी) को हाथ से मलता है तथा कभी-कभी नीद में बिस्तर पर ही मूत्र कर देता है। मूत्राशय की पथरी अक्सर बच्चों तथा वयस्कों को तथा दुबले-पतले मनुष्यों को बनतीं है। यह पथरी प्रायः भूरी या सफेद होती है तथा ज्वार के दाने से लेकर मुर्गी के अंडे के आकार तक की हो सकती है। उप...