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त्रिधारा नाड़ी का दर्द ,Trgeminal Nuralgia

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त्रिधारा नाड़ी का दर्द ,Trgeminal Nuralgia रोग परिचय-यह दर्द आँखों की भवों, गालों एवं ठोड़ी में प्रायः दोपहर से पूर्व शुरू हो जाता है जो छुरी मारने की भाँति होता है। यह दर्द पुराना हो जाने पर जल्दी-जल्दी होने लग जाता है और कभी 2-4 बार होकर स्वयं ही दूरहो जाता है। वैसे यह रोग हर आयु में हो सकता है किन्तु 50 वर्ष की आयु से पहले बहुत ही कम होते देखा गया है। यह दर्द बड़ी आयु में विशेषकर स्वियों को होता है। इस दर्द में 1 आँख के ऊपर और कभी-कभी चेहरे के आधे भाग में दर्द होता है। यह दर्द सीलन युक्त मकानों में रहने, थकावट, चिन्ता, क्रोध एवं शारीरिक कमजोरी आदि कारणों से उत्पन्न हो जाया करता है। उपचार • त्रिफला चूर्ण 3 ग्राम और पंचसकार चूर्ण 2 ग्राम एकत्र कर गरम जल से खायें, ताकि 1-2 पतले दस्त आकर पेट साफ हो जाए। इससे दर्द तुरन्त दूर हो जाएगा। • दालचीनी, सौठ, बादाम की गिरी को जल में घिसकर एक चम्मच में डालकर गरम करें तथा इसे दिन में 2-3 बार रोगी के माथे पर लगायें। इस प्रयोग से तत्काल दर्द शान्त हो जाता है। • सफेद फिटकरी 12 ग्राम को आक के दूध में खरल करके सुखाले तथा धतूरे के ताजे पत्तों...