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स्त्री में कामवासना की अधिकता,औरत की सेक्स संतुस्टी ना होना,aurat mein kamvasna kaathik hona

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(स्त्री में कामवासना की अधिकता,औरत की सेक्स संतुस्टी ना होना) रोग परिचय- इस रोग से ग्रसित स्वियों को संभोग (प्रसंग) करने की इच्छाबहुत अधिक हुआ करती है। यदि वे बार बार सम्भोग सम्पन्न नहीं कर पाती है तो इतनी अधिक कामातुर हो जाती हैं कि सामाजिक मान मर्यादा का विचार त्याग करके अपने समीप के पुरुषों को ही यहाँ तक कि किसी सगे सम्बन्धियों को सम्भोग करने हेतु उकसाती रहती है। ऐसी कामातुर स्वी पागलों की तरह गप्पें मारती है। अपने यौवन को एवं शरीर को विचित्र तरीकों से प्रदर्शित करती हुई ऐंठन और अंगड़ाई के साथ अकड़ती हुई मुद्राएं करती रहती हैं। वह हर किसी के सामने अपना प्रयण-निवेदन प्रस्तुत कर देती है। उसे बार- बार सम्भोग करने के बाद भी कभी सन्तुष्टि नही होती है। इस रोग का प्रधान कारण बचपन की कुसंगतियां, वासनामयी गुन्दी गन्दी बातें सुनना, यौवन के प्रारम्भ में ही हस्तमैथुन, पशुमैथुन इत्यादि लतों का शिकार हो जाना, गन्दे उपन्यास, नंगे अथवा अश्लील चित्र देखना इत्यादि होते हैं। ऐसी रोगिणी जब किसी से सम्भोग हेतु प्रयण निवेदन करती है और उसकी पुरुष द्वारा स्वीकृति नहीं मिलती है तब वह झुंझला कर, ...