अविकसित अथवा ढीले स्तनों हेतु कुछ योग,brest,loose brest


अविकसित अथवा ढीले स्तनों हेतु कुछ योग,brest,loose brest

असगन्ध नागौरी, कड़वी कूट, सोये के बीज, काली मिर्च सभी सम मात्रा में लेकर पीसलें । तंदुपरान्त इसे भैंस के मक्खन में मिलाकर 40 दिनों निरन्तर स्तनों पर लेप करने से तड़कियों के अविकसित स्तनों का विकास हो जाता है। अत्यन्त सफल और अनुभूत योग है।

जैतून के विशुद्ध तैल की स्तनों पर हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करने से मांस-पेशियां पुष्ट होकर, रक्त संचार बढ़कर अविकसित स्तन बढ़ जाते हैं।

अश्वगन्धा चूर्ण 1 भाग को 4 भाग तिलों के तैल में पका, छानकर सुरक्षित रखलें। इस तैल की प्रतिदिन रात्रि को सोते समय स्तनों पर हल्के हाथों से मालिश करने से लड़कियों के अविकसित स्तनों का विकास हो जाता है।

जिन स्वियों के सन्तान उत्पन्न होने के बाद स्तन पक जाते हों वे अश्वगन्धा चूर्ण आधा-आधा चम्मच प्रातः सायं मधु के साथ खायें तथा स्तनों पर सरसों के तैल की हल्के-हल्के मालिश करें। अढीव गुणकारी योग है।

स्नान करते समय स्तनों पर बारी-बारी से ठण्डे तथा गरम पानी के छीटे मारने से वहाँ का रक्त संचार खुल जाता है। यदि बर्फ का ठण्डा पानी हो तो और भी अधिक अच्छा है केवल 10-15 मिनट तक नियमित रूप से प्रतिदिन इस क्रिया के करने से भी स्तन विकास पांकर स्वी के सौन्दर्य में वृद्धि देते हैं।

तोदरी लाल 2 ग्राम की मात्रा में पीसकर दूध के साथ खाने से भी लड़कियों के अविकसित स्तनों का पूर्ण विकास हो जाता है।स्तनों को बढ़ाने के लिए गहरी साँस लेकर छोड़ना (पहले सांस अन्दर ले जायें और कुछ देर तक अन्दर सांस को रोके रहकर धीरे-धीरे बाहर निकाले) इस क्रिया के नियमित रूप से करने के फलस्वरूप वक्षस्थल सुडौल, सुदृढ़ और आकर्षक हो जाता है तथा अविकसित स्तनों का पूर्णतः विकास भी हो जाता है। यह क्रिया अनेक हृदय सम्बन्धी बीमारियों को भी नष्ट कर देती है तथा हृदय शक्तिशाली हो जाता है।

आयु की अधिकता, शारीरिक दुर्बलता, सदैव गरम पानी से स्नान करना, स्तनों को अधिक रगड़ना, शरीर में पित्त की अधिकता, बच्चे को गलत ढंग से दुग्धपान कराना, सन्तान अधिक होना, बेजियर (बाडी) न पहनना, गर्भ निरोधक गोलियों का अत्यधिक प्रयोग आदि ऐसे कारण है जिससे स्तन ढीले-ढाले और चैलियों की भाँति लटककर स्वी के सौन्दर्य को नष्ट कर डालते हैं।

कमल गट्टे की गिरी निकालकर इनका बारीक चूर्ण पीसकर सुरक्षित रख लें। प्रतिदिन इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से 15-20 दिनों में ही ढीले स्तनों में कठोरता आने लगती है और वे तन जाते है।

अनार का छिलका 85 ग्राम, फिटकरी और कपूर 30-30 ग्राम को बारीक पीसलें । रात्रि को सोते समय पानी में घोलकर स्तनों पर हल्का सा लेप करके कपड़ा बाँधकर सो जाया करें। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में लटके हुए स्तन कठोर होकर अपने प्राकृतिक (वास्तविक) आकार में पुनः आ जाते हैं।

लिसोड़े के पत्ते 125 ग्राम, घी 250 ग्राम, आटा 125 माग और चीनी 250 ग्राम सभी को मिलाकर प्रतिदिन प्रातः काल हलुआ बनाकर खाने से लटके और ढीले स्तन 1 मास के नियमित प्रयोग से कठोर एवं सुदृढ़ होते हैं।

कच्चे आम के (चने के बराबर वाले) फल, बबूल की कच्ची फलियाँ, इमली के बीजों की गिरी और अनार का छिलका लेकर बारीक पीसकर रखलें। इसमें डेढ़ तोला घी और 5 तोला खान्ड मिलाकर हलुआ बनालें । उसका 40 दिनों तक प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। अधिक आयु की स्वियों के स्तन भी युवा स्वी के भाँति सुन्दर हो जाते हैं।

बबूल की कच्ची फलियों का रस निकालकर इसमें मोटा सूती कपड़ा भली प्रकार भिगो-सुखालें। (यह मोमजामा जैसा हो जाएगा। चोली बनाकर पहनने से लटके और ढीले स्तन तनकर कठोर होकर सुन्दर हो जाते हैं।

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