सफेद दाग,शरीर पर सफ़ेद घबे(Leucoderma)

    (सफेद दाग,शरीर पर सफ़ेद घबे(Leucoderma)

रोग. परिचय-इस रोग को फुल बहरी, श्वेत कुष्ठ, श्वित्र इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। शरीर के विभिन्न भागों चेहरा, होंठ, टाँग, हाथों पर पहले छोटे-छोटे सफेद दाग पड़ जाते हैं फिर धीरे-धीरे वे फैल जाते हैं। यह छूत (संक्रामक) का रोग नहीं होता है। इस रोग से ग्रस्त रोगी की औलाद इस रोग से ग्रसित नहीं होती है। इस सचाई से अनभिज्ञ लोग रोगी से घृणा करने लगते हैं।

उपचार- सफेद दागों वाले चर्म (खाल) को चुटकी से ऊपर उठाकर (माँस से प्रथक करके) उसमें सुई चुभोकर देखें। यदि उसमें रक्त निकल आये तब चिकित्सायोग्य समझें और यदि पानी जैसा तरल निकले तो "असाध्य" समझें यदि दाग छोटे और कम हो तो वह चिकित्सा से शर्तिया ठीक हो जाते हैं

• बाबची के बीज 200 ग्राम, हरताल 48 ग्राम, मैनसिल व चीता का जड़ 6-6 ग्राम लें। इन्हें गौमूत्र में पीसकर सफेद दागों पर दिन में 3 बार लेप करें।

• ब्राह्मी पंचाग, लहसुन, सेंन्धानमक और चीता की जड़ प्रत्येक 12-12 ग्राम लें। इनको गौमूत्र के साथ पीसकर सफेद दागों पर लेप करें।re

• अपामार्ग भस्म 12 ग्राम तथा मैनसिल 12 ग्राम मिलाकर जल के साथ पीसकर सफेद दागों पर दिन में 2 बार लेप करें।

• कत्था और आँवला चूर्ण 12-12 ग्राम जल में डालकर 250 ग्राम क्वाथ बनायें। जब जल 30 मि. ली. शेष रहे तब ठन्डा कर व छानकर इसमें 12 ग्राम बाबची-चूर्ण मिलाकर सुबह शाम ऐसी 1-1 मात्रा प्रयोग करें।

• मोर पंख की भस्म, बाबची, तथा हल्दी सम मात्रा में लेकर करेला के रस में खरल करके श्वेत दागों पर लगावें ।

• बाबची, आँवला, रसौत, काले तिल, लौह चूर्ण, सममात्रा में लेकर एक हाँडी में बन्द करके फूंक लें। शीतल होने पर निकालकर भाँगरे के रस में घोटकर बार-बार लेप करने से श्वित्रकुष्ठ नष्ट हो जाता है।

• सफेद दागों पर बाबची के बीजों का लेप करना या तेल लगाना अत्यन्त ही लाभप्रद है। रोग नया हो तो इसमें अवश्य लाभ होता है। धैर्यपूर्वक निरन्तर प्रयोग करते रहें। समय अधिक लगता है।

• बाबची के बीजों को 21 दिन लाखी गौ के मूत्र में भिगों दें। प्रतिदिन जितना मूत्र सूख जाये उतना और डाल दें। फिर बीजों को मसलकर छिलका उतार दें। इस मज्जा के चूर्ण 5 ग्राम में शुद्ध गन्धक 4 ग्राम मिलाकर मधु के साथ दें। यह श्वेत कुष्ठ नाशक है।

• बाबची को सूक्ष्म चूर्ण कर 21 दिन जामुन फल के स्वरस में, फिर 21 दिन गौमूत्र में, तत्पश्चात् 21 दिन अदरख के स्वरस में खरल कर वटिका बना ले। इन गोलियों को अदरक स्वरस में घिसकर लेप करने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं।

मेंहन्दी के पत्तों का स्वरस 2 तोला नित्य सबेरे मधु के साथ पिलाने से 40 दिन में क्षुद्रकुष्ठ, चर्मरोग, एग्जिमा इत्यादि भयंकर कष्ट शान्त हो जाते हैं। खून शुद्ध हो जाता है।


• नमक की डली को नियमित घिसकर श्वेत दागों पर लगाने से श्वेत कुष्ठ रोग नष्ट हो जाता है।

• राई के आटे को 8 गुने पुराने गौघृत में मिलाकर लेप करते रहने से थोड़े दिन में ही उस स्थान का रक्त संचालन प्रबल होकर सफेद दाग मिट जाते हैं।

• हल्दी दो तोला को बावची के रस में घोटकर बेर के समान गोली बनालें। सुबह शाम 1-1 गोली जल से दें तथा इसी को जल में घिसकर सफेद दागों पर लगायें। लाभप्रद योग है।

• गौमूत्र का सतत प्रयोग करके 1 तोला से प्रारम्भ कर आधा-आधा तोला बढ़ाकर 10 तोला तक ले जायें। 15 दिनों तक 10 तोला पीना चालू रखें । फिर आधा-आधा तोला कम करें। लौटकर 1 तोला आ जाने पर 15 दिनों तक 1 तोला ही रखें, फिर आधा-आधा तोला बढ़ावें। इस प्रकार प्रयोग 6 माह तक करें। इस प्रयोग से गलित कुष्ठ तक नष्ट हो जाते हैं।

• बाबची, पनबाड़ के बीज, अन्जीर, चाक्सू सभी समभाग लेकर पीसें । यह 6 से 12 ग्राम की मात्रा में लेकर रात को ढीली पोटली में बाँधकर गर्म पानी में भिगो दें। प्रातःकाल छानकर 40 दिनों तक पिलायें और औषधि का शेष बचा भाग सफेद दागों पर जोर से मालिश करते रहें ।

• चालमोंगरा का तेल 15 बूंद पिलाना भी परम लाभप्रद है।

सफेद दागनाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

श्वित्रनाशक टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद) 1-2 टिकिया दिन में 2 बार चमड़ी का रंग स्वाभाविक होने तक प्रयोग करायें। उपयोगी है।

ल्यूकोडर्मा कैपसूल (न्यू इन्डिया) 1 कैपसूल प्रतिदिन प्रयोग करें। यह अत्यन्त प्रभावकारी औषधि है। जो 40 दिनों के अन्दर त्वचा की स्वाभाविक रंगत ले आती है। इसके साथ ही इसी कम्पनी के द्वारा निर्मित ल्यूकोडर्मा मलहम का भी स्थानीय प्रयोग करें।

श्वित्र नाशक लिक्विड (राजवैद्य शीतल प्रसाद) 1-2 चम्मच दिन में 1- 2 बारं प्रयोग करें। सफेद दागों हेतु अत्युत्तम है ।

नोटः- इसके साथ ही श्वित्र नाशक टेबलेट इसी फार्मेसी द्वारा निर्मित का भी प्रयोग करें। श्वित्र नाशक तेल (राजवैद्य शीतल प्रसाद) सफेद दागों में आवश्यकतानुसार

लगायें। इसके साथ ही श्वित्र नाशक टेबलेट का भी प्रयोग करें। इस योग से अवश्य लाभ होता है।कोढ़ना टेबलेट (अजमेर) 1 टिकिया दिन में 2-3 बार अथवा आवश्यकतानुसार प्रयोग कराये। उपयोगी व शीघ्र असरकारक है।

श्वेत कुष्ठ हर (धन्वन्तरि कार्यालय) का पत्रक के दिशा निर्देशानुसार प्रयोग करें। शर्तिया लाभप्रद है।

चर्मक्लीन कैपसूल (अतुल फार्मेसी) 1-1 कैपसूल सुबह शाम कम से

कम निरन्तर 1 माह तक तथा साथ में इसी फार्मेसी द्वारा निर्मित 'चर्मक्लीन मलहम' को सफेद दागों पर मालिश करें।

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