आन्त्रिक ज्वर (मोतीझरा, या, टायफाइड)

(आन्त्रिक ज्वर (मोतीझरा, या, टायफाइड)

रोग परिचय - आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसे टायफाइड के नाम से जाना जाता है। इसमें पहले दिन साधारण ज्वर आता है। दूसरे दिन तीव्र ज्वर हो जाता है। गले, पीठ और छाती पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं। प्रायः 24 घंटों के अन्दर इन दानों में जल भर जाता है जिसके फलस्वरूप यह दाने मोती की भांति चमकने लगते हैं। इसीलिए इसे मोतीझरा के नाम से भी जाना जाता है। धीरे-धीरे यह दाने सूख जाते हैं जिससे ज्वर भी मन्द पड़ जाता है तथा दानों की पपड़ी उतर जाती है।

उपचार

बच्चों को मोती भस्म 15 से 30 मि.ग्रा. दिन में 2 बार मधु से चटाना

अत्यन्त ही लाभप्रद है।• महासुदर्शन चूर्ण (भै. र.) बच्चों को 1 से 2 ग्राम तक गरम जल से प्रत्येक 4-6 घंटे पर देना लाभकारी है।

• गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है।

• अजमोद का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ सुबह शाम चाटने से लाभ होता है।

• मोथा, पित्त पापड़ा, मुलहठी, मुनक्का चारों को समभाग लेकर अष्टावशेष क्वाथ करें। इसे शहद डालकर पिलाने से ज्वर, दाह, भ्रम व वमन आदि नष्ट होते हैं।

• अनबिंधे मोती 1 रत्ती, कस्तूरी 2 रत्ती, केशर कश्मीरी 3 रत्नी, जायफल 4 रत्ती, जावित्री 5 रत्ती, लवंग 6 रत्ती, तुलसी पत्र 7 रत्ती, अभ्रक भस्म 8 रत्ती सभी औषधियों को खरल करके अदरक के स्वरस में घोटकर गोली बनालें। इसे चौथाई से आधी रत्ती तक जल में घिसकर सेवन कराने से मन्थर ज्वर के दाने शीघ्र ही निकलकर ढारा ले जाते है तथा अन्य उपद्रव भी नहीं होते हैं। यह योग बड़े- मूल्यवान अंग्रेजी औषधियों के भी कान काट देता है।

• नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे के बाद पिलाने से आन्त्रिक ज्वर उतर जाता है। यह योग मल निकालता है। शरीर में ताजा खून बनाता है, नयी शक्ति का संचार करता है। यदि मलेरिया बुखार से टायफाइड बना हो तो नीम जैसी औषधि के अतिरिक्त अन्य कोई सस्ता और सहज शर्तिया उपचार नहीं है।

• टायफाइड ज्वर के कारण उत्पन्न हुई कमजोरी में मधु का सेवन अंग्रेजी औषधि- हैप्टोग्लोबिन से भी अधिक लाभप्रद है।

• जीरे को जल के साथ महीन पीसकर 4-4 घंटे के अंतर से ओष्ठों (होंठ के किनारों पर लेप करने से ज्वर उतरने के पश्चात् ज्वरजन्य ओष्ठ-प्रकोप (बुखार का मूतना) अर्थात् होठों का पकना व फूटना ठीक हो जाता है।

• जीरा सफेद 3 ग्राम 100 मि. ली. उबलते जल में डाल दें। इसे 15-20 मिनट के बाद छानकर श्रोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को दें। 10-15 दिनों तक निरन्तर प्रातः काल में पीने से ज्वर उतरने के पश्चात् आने वाली कमजोरी व अग्निमान्ध नष्ट होकर भूख खुलकर लगने लगती है।

आन्त्रिक ज्वरनाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

ज्वरसंहार कैपसूल (जी. ए. मिश्रा) 1-2 कैपसूल दिन में 3 बार दें। आन्त्रिक ज्वर तथा अन्य ज्वरों में लाभप्रद है।विषम ज्वरान्तक कैपसूल (गर्ग बनौ.) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।

ज्वरघ्न कैपसूल (ज्वाला) मात्रा व लाभ उपयुर्वत ।

मैनेगिन टेबलेट (देवेन्द्र आयुः आश्रम) फ्लू, आन्त्रिक ज्वर, श्वसनक (निमोनिया) ज्वर, शिर, शूल, जुकाम तथा सर्दी से होने वाले ज्वरों सहित प्रायः सभी ज्वरों में लाभप्रद है। जुकाम-खांसी सहित ज्वर में 'जुकाम रिपु सीरप' (इसी फार्मेसी का) साथ में प्रयोग करने से शीघ्र लाभ होता है। 1-1 कैपसूल का यदि सेवन करवायें 6-6 घंटे पर (तीव्रावस्था में 4-4 घंटे पर) दें। जुकाम रिपु का तो 2-2 चम्मच दिन में 3 बार गरम जल से दें।

मुक्तावलेह (खमीरा मरवारीद) (धन्वन्तरि कार्या.) का सेवन कराना मोतीझरा टायफाइड चेचक तथा अन्य हृदय रोगों में अत्यधिक लाभकारी है।

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