गर्भाशय का बढ़ जाना अथवा छोटा हो जाना,garbh ka badh jana ya chotta ho jana

(गर्भाशय का बढ़ जाना अथवा छोटा हो जाना,garbh ka badh jana ya chotta ho jana)


रोग परिचय गर्भाशय बढ़ना, कई प्रकार का होता है:- गैस भर जाने

के कारण गर्भाशय की दीवार में चर्बी जमा हो जाने के कारण, गर्भाशय की सूजन के कारण, गर्भाशय में घाव हो जाने के कारण, बार-बार (अत्यधिक) बच्चों को जन्म देने के कारण, गर्भाशय प्राकृतिक आकार से बड़ा हो जाता है जिसके कारण पीड़ित स्वी को अन्दर से भारीपन प्रतीत होता है। आघात लग जाने तथा उसके पुनः प्राकृतिक स्थिति में नहीं आने, दुर्बलता आदि कारणों से भी गर्भाशय बढ़ जाया करता है।

यदि किसी स्त्री का बचपन से ही गर्भाशय छोटा हो तो आरम्भ से ही मासिक कम मात्रा में आता है अथवा बिल्कुल ही नहीं आता है और विवाह के पश्चात् भी यही स्थिति बनी रहती है। स्वी को गर्भ नहीं ठहरता। यदि ठहर भी जाए तो गर्भपात हो जाता है। इस रोग का मुख्य कारण जन्मजात दोष, गर्भाशय का पूर्ण रूप से पोषण न होना, गर्भाशय की रचना किसी कारण से नष्ट हो जाना,स्वी का सम्भोग क्रिया से विरत रहना, गर्भाशय घाव से भर जाना, मैथुन किया की अधिकता, ग्रन्थि दोष तथा गर्भाशय का सिकुड़ जाना इत्यादि है।

उपचार गर्भाशय बढ़ जाने पर शोथ नाशक तथा शक्तिवर्धक योगों के सेवन से आराम आ जाता है। गर्भाशय के छोटा हो जाने पर 'सुपारी पाक' अथवा असगन्ध को पीसकर घी में मिलाकर काफी लम्बे समय तक निरन्तर सेवन कराते रहने से गर्भाशय अपनी प्राकृतिक साइज में आ जाता है।

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