खून की कमी,खून ना बनना,खून में लोह तत्व की कमी पान्डु (एनीमिया

 (खून की कमी,खून ना बनना,खून में लोह तत्व की कमी  पान्डु (एनीमिया)

रोग परिचय-शरीर में खून की कमी के कारण होता है। शरीर में लौह (आयरन) कम हो जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। लाल रक्त कण (R.B.C. रेड ब्लड सैल्स) कम हो जाते हैं तथा (W.B.C. व्हाइट ब्लड सैल्स) श्वेतकणों की वृद्धि हो जाती है। फलस्वरूप रोगी दुबला, पतला, कमजोर हो जाता है तथा उसके चर्म का रंग पीला-पीला दिखलाई देने लगता है। जीभ तथा आँख के पलकों के अन्दर कोये तथा हाथ-पैर के नाखूनों में खून की कमी (लाल कणों की कमी). के कारण सफेद-सफेद सा रंग दिखलाई पड़ने लगता है। रोगी को खुजली सी महसूस होती है तथा चक्कर भी आते हैं।

उपचार

• टमाटर के 100 ग्राम रस में 3 ग्राम काला नमक मिलाकर नित्य सुबह- शाम पिलाने से पान्डु रोग में लाभ होता है।

• इमली की छाल की काली भस्म 10 ग्राम तक बकरी के मूत्र में मिलाकर नित्य सेवन कराना पान्डु रोग में अत्यधिक लाभप्रद है।

• एक केले पर भीगा चूना लगाकर रात्रि के समय बाहर ओस में रखकर प्रातःकाल इस केले को छीलकर खाने से पान्डु रोग में लाभ होता है।

• निशोथ चूर्ण 10 रत्ती और गोखरू चूर्ण 5 रत्ती दोनों को एकत्र खरल कर 3 पुड़िया बनाकर दिन में 3 बार गरम जल से सेवन करना लाभप्रद है।

. नीबू का रस 10 ग्राम, खान्ड 20 ग्राम, खाने वाला सोडा 4 रत्ती तथा नौसादर 2 रत्ती का मिश्रण कर 10 ग्राम ताजा पानी मिलाकर सुबह व शाम नित्य सेवन करने से पान्डु रोग में लाभ होता है।

• बबूल के छाया-शुष्क फूलों को खरल कर उसमें सममात्रा में मिश्री मिलाकर (मिश्री के अभाव में खान्ड मिला सकते हैं) इसे 5 से 10 ग्राम तक की मात्रा में ताजे जल के साथ सेवन कराने से पान्डु रोग में लाभ होता है।

• बिडंग, त्रिफला, त्रिकटु, दारू हल्दी का चूर्ण एवं मान्डूर भस्म और लौह भस्म (प्रत्येक 1-1 भाग लेकर) एकत्र कर खरल कर लें। इसे 1 से डेढ़ ग्राम तक लें और घृत व मधु (विषम मात्रा) में मिलाकर सेवन करने से पान्डु रोग नष्ट हो जाता है।• बेल के ताजे पत्तों के ढाई से 5 ग्राम तक रस में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से पान्डु रोग नष्ट हो जाता है।

• मूली का स्वरस (पत्तों सहित) निकालकर दिन में 20-20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार पीने से पान्डु रोग में लाभ होता है अथवा मूली स्वरस 60 ग्राम में 40 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पान्डु रोग नष्ट हो जाता है।

• कड़वे नीम के पत्तों को पानी में पीसकर रस निकाल लें। उस रस में मिश्री मिलाकर गरम कर तदुपरान्त शीतल करके पान्डु रोगी को सेवन कराना अत्यधिक लाभप्रद है।

• पुरानी इमली को भिगोकर उसका निथरा पानी पीने से पीलिया (पान्डु) रोग दूर हो जाता है।

• शहद का शरबत दिन में 3 बार नित्य पीने से रक्ताल्पता (खून की कमी) दूर होकर पान्डु रोग नष्ट हो जाता है।

नोट-अधिक तीक्ष्ण दाहक पदार्थों के सेवन के फलस्वरूप जब यकृत् की क्रिया बिगड़ जाती है और पित्त आमाशय में न जाकर रक्त में मिलने लगता है तब वह रक्त के स्वाभाविक रंग को बदल कर पीला कर देता है। इसे ही आयुर्वेद मतानुसार पान्तु या पीलिया कहा जाता है।

अत्यधिक अम्लीय पदार्थ खाने, अत्यधिक मद्यपान करने, अत्यधिक मैथुन करने आदि कारणों से वात पित्त आदि कुपित होकर रक्त को विकृत कर त्वचा के रंग को पीला कर देते हैं। फलस्वरूप रोगी का मुख, नेत्र, नाखून और मूत्र का रंग पीला हो जाता है। पान्डु हो जाने पर मन्दाग्नि, दुर्बलता, अनिद्रा, भ्रम, थकान, ज्वर, शरीर में भारीपन, कानों में शब्द होना इत्यादि लक्षण प्रकट हो जाते है। मुख का स्वाद बिगड़ जाना, शरीर काँपना, शरीर पर सूजन हो जाना इत्यादि उपद्रव हो जाते हैं।

• ताजे करेले को पीस छान कर उसका रस ढाई से 3 तोला तक रोगी को पिलायें । इससे 2-4 दस्त हो जायेंगे। फिर नित्य प्रति 8-10 दिनों तक यही प्रयोग करते रहने से पान्डु रोग ठीक हो जायेगा ।

• कुटकी का चूर्ण 6 माशे को 2 से ढाई तोला तक करेले के रस के साथ कुछ दिनों तक निरन्तर सेवन करने से पान्डु रोग निश्चित ही नष्ट हो जाता है। करेले में विटामिन सी, लौह, कैल्शियम, फॉस्फोरस इत्यादि खनिज लवणों की विद्यमानता है, अतः यह यकृत की क्रिया को सुधारता है।

• हल्दी के चूर्ण 3 ग्राम की फंकी लगाकर गाय के दही का म‌ट्ठा पीने से पीलिया नष्ट हो जाता है। गरम वस्तुओं एवं नशीले पदार्थों का सेवन त्यागदें तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें। स्वादिष्ट भोजन भी भरपेट न खायें, किन्तु भूखे भी न रहें। भूख लगने पर उचित पदार्थ अवश्य खायें, किन्तु मिर्च मसालों तथा उत्तेजक वस्तुओं का सेवन न करें ।

• यदि जिगर की खराबी अथवा पीलिया या कामला (जान्डिस) के कारण आँखें पीली हों तो हल्दी घिसकर सलाई से काजल की भाँति लगाया करें। तुरन्त लाभ मिलेगा ।

पान्डु नाशक कुछ पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

लिवोमीन टेबलेट (चरक फार्मेस्युटिकल्स) 1-2 गोली दिन में 2-3 बार दें। यकृत् विकार जन्य पान्डुरोग में उपयोगी है। बच्चों के लिए ड्राप्स तथा सीरप भी उपलब्ध है।

लिव 52 (हिमालय) 1-2 गोली दिन में 2-3 बार दें। लाभ उपर्युक्त।

लिवाट्रीट टेबलेट (झन्डू) सेवन विधि मात्रा एवं लाभ उपर्युक्त। इसका प्रवाही क्वाथ भी आता है तथा सीरप भी उपलब्ध है।

लीवरवून टेबलेट (मार्तन्ड) मात्रा व लाभ उपर्युक्त। इसका सीरप भी आता है।

एल्फा टेबलेट (गैम्बर्स लेबो०) मात्रा उपर्युक्त। रक्तक्षय, पान्डु तथा अन्य प्रकार की दुर्बलताओं में उपयोगी है।

पाण्डुहारी कैपसूल (गर्ग बनौ०) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।

पाण्डुनौल कैपसूल (ज्वाला आयु०) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।

द्राक्षालौह कुमारी (धन्वन्तरि कार्या०) 2-4 चम्मच समान मात्रा में जल मिलाकर, भोजनोपरान्त दें। पान्डु नाशक अति उत्तम पेय है। क्षुधा बढ़ाता है तथा यकृत एवं आन्त्र की क्रिया को सामान्य अवस्था में लाता है।

एनर्जी प्लेक्स सीरप (मार्तन्ड) 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार दें। पान्डु रोग तथा दुर्बलताजन्य विकारों में उपयोगी है। इसकी टेबलेट भी आती है।

शंखद्रव सीरप (झन्डू) 2 से 5 बूँद 1 औस जल में मिलाकर प्रयोग करायें।

अतुल लिव सीरप (अतुल फार्मेसी) 2-2 चम्मच 3 बार दें। साथ में अतुल लिव 2 कैपसूल भी 1-1 खिलायें ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आँख आना, अभिष्यन्द,गुहोरी,आंख पे फुंसी

चर्म की खुश्की, चर्म का खुरदरा हो जाना,dry skin,chamdi ki khuski

सफेद दाग,शरीर पर सफ़ेद घबे(Leucoderma)