पाचन ठीक करने बाली कुछ दवार्दया

                    (प्रमुख पेटे्ट आ यर्वेदीय कुछ योग  )
पाचन ठीक करने के लिए 

शुक्तिन टेबलेट (अलारसिन)- - भोजन के मध्य या भोजन के पश्चात् 2-  2 गोली दिन में 3 बार । लक्षणों की उद्यता में दिन में 3-4 बार तक 3 से  6 गोलियाँ तक एक साय दे संकते हैं। बच्चों को आधी से एक गोली दिन  में 3 बार दें।  यह उदर में किसी भी प्रकार के अम्लाधिक्य को कम करने के लिए अति  उपयोगी टिकिया है । अम्लपित्त की समस्त अवस्थाओं में लाभकारी है । आमाशय  शोथय, परिणाम शूल, अन्द्रव शूल, पेप्टिक-अल्सर इत्यांदि सभी समशियो  अत्यन्त. निरापद महौषधि है ।
  टेबलेट के अन्य विशेष लाम् इस प्रकार हैं- मुख से मलद्वार तक अन्न प्रणाली को विष रहित करती है । 
आमाशय और आंतों की क्षोभक पदारथों से रक्षा  करती है साथ ही शूल को शान्त करती है  आदि (्रारम्भ) से अन्त तक सम्र अन्रप्रणाली पर किया करती हुई भोजन  के शोषित न होने से अवशिष्ट अंशों को मलद्वार से निकालती हुईं, अन्न प्रणाली  की मलद्वाराभिमुख स्वभाविक गति को ब्यवस्थित करती है ।  

आमाशय तथा ग्रहणी के क्षतों (जख्मों) के भरने में सहयोग देती है  -  पाचनतन्तर की स्वाभावक क्रिया का संचालन करने बाले केन्द्रीय तन्तर पर  उपकारक किया करती है ।
  लीवर (जिगर) की करिया को स्वयावस्था में रखती है । सगर्भांवस्था में हृदय  प्रदेश में दाह (जलन) तथा वमन का शमन करती है ।  पाचन किया की विकृतिवश हुए अजीर्ण विकार एबं अम्लाधिक्य-जनित  ल्षणों में रात् के समय होने वाले शूल के शमनर्य ।| सुक्तिन टिकिया के सेबन  से शूल के बेगों का अन्तर बढता जाता है तथा कई रोगियों में तो शूल सम्मूर्णतया  शान्त हो जाता है । 
 A  मैनोल टेबलेट (चरक) . तथा मेनांल टॉॅनिक (चरक) मात्रा-वयस्कों को  2 चम्मच सीरप या 2 टिकिया दिन में 3 बार। बच्चों को वयस्को की आधी मात्रा  दें। सामान्य दुर्बलता, एमीमिया, गर्भाबस्था में रक्ताल्यता, गुण (जीभ) में छाले  उदर में तकलीफ, अति, अम्लता में अतिशय उपयोगी है । छाती की जलन में  लाभदायक है, कष्टनाशक है ।  

अभ्यासिन टेबलेट (झन्डू)-2 से 4 गोली गरम जल या दूध से दिन  में 3 बार। अम्लपित्त में अत्यधिक लाभकारी एं मलावरो्ध नाशक है ।  

झन्डूझाइम (झन्डू)- मात्रा उपरोक्त । अजीर्ण व अम्लपित्त में अतिशय  उपयोगी है  डायमैक्स सीरप् (प्रताप फार्मा.)- 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार ।  अम्लपित्त की समस्त अबस्थाओं में अति उत्तम ब निरापद है।
अम्ल पित्तान्तक (वैद्यनाथ)- मात्रा व गुण उपयुक्त I  अग्नि बल्लम क्षार (धन्वन्तरि कार्यालय)- 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार।  अम्लपत्त तथा इसके अन्य उपद्रवों में अत्यन्त लामप्रद है ।

  बोमिटेब सीरप और टेब(चरक)- अम्ल नाशक एवं वमन उल्टी  रोकने हेतु परम लाभकारी औषषि है । गर्भावस्था के भी दौरान बेझिझंक इस्तेमाल करायी जा सकती है । मात्रा 2-2 चम्मच या 2-2 गोली प्रत्यंक आधा-आधा  घंटे पर दैं बच्चों को आषी मात्रा तथा शिशुओं को आधा चम्मच प्रत्येक आधा  -  घंटे पर सेवन करायें ।
 
 गार्लिल टेब (आवरणयुक्त ब रहित) (चरक)- -पाचन किया में परम  सहायक, वायुनाशक, रेबक तथा वायु अवरोधक है । गैस से उत्पन्न होने वाली  परेशानियों, कष्टों एबं हृदय विकारों को दूर करती है । उदर स्फीति, पेट ब आँत  में बायु, मन्दागिन, भोजन के पश्चात् घबराहट इत्यादि में अतिशय लाभकारी है।  यदि रोगी खूनी बबासीर अथवा तीब्र पेट दर्द से पीड़ित हो तो सेवन न करायें ।

  मात्रा- 2-3 टिकिया 2-3 बार भोजन के बाद 6 सप्ताह तक दें। बच्चों को उपरोक्त  की आधी मात्रा दें  -

  लिबोमिन (ड्राप्स, सीरप, टिकिया) (चरक)- --यकृत के कार्य को सुचारु  रूप से नियन्रित करती है ।पित्त के स्नाव को बढ़ाती है। यह अंग्रेजी ऐन्टीबायोटिक  दवाओं से उत्पन्न अनिष्टं से यकृत की रक्षां करती है । इसके अतिरिक्त यकृत की  सूजन, जकड़न को दूर करती है । मदिरा से होने बाले दूष परिणाामे से यकृत की रक्षा करती है । पाचन क्रिया को सुधार कर भूख बढ़ाती है। वजन में वृद्धि करती है,  दस्त साफ करती है। यह मन्दागिनि, यकृत विकार, पीलिया के साथ यकृत में विकार  आदतन मदिरापान तथा यकृत पर चर्बी का जम जाना इत्यांदि में लाभप्रद है ।  वयस्कों को 2-3 चम्मच या 2-3 टिकिया दिन में 2-3 बार । शिशुओं को 5  से 10 बूंद में 3-4 बार दें।

  

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