digestive systyam

                                   
                    ाचन सकती दुरुस्त करने के ऊपाये।

                                     प्रथम खण्ड
अजीर्ण (digestive  system)
रोग परिचय- अजीर्ण रोग प्रायः: साथारण सा रोग समझा जाता है, किन्तु  याद रखिये कि यंदि किसी रोगी को यह रोग अत्यन्त पुराना हो गया हो तो उसे  शनैः शनै: (थीरे-थीरे)मृत्यु की ओर ढकेलने वाला भी साबित हो सकता हैं । उसमें कोईंदो  ाय अथवा अतिशयोक्ति नहीं  साधारण सी बोलचाल में अजीर्ण का सींधा  सा अर्थ होता है- -पाचन किया अर्थात खाया पीया हज्य न होना । इसी रोग को  न  अतिनिमांच तथा मन्दागिन के नामॉं से भी जाना जाता है 
घरेल उपचार  चिनक (चीता) के मूल का महीन चूर्ण क्रके सुरत रख लें। इसे  .  4-4 रती की मात्रमें  नित्य प्रति शहद के साय चाटने से मात्र 45 दिदिनों मे ही  लाभ् हो जाता है ।  निबक-मूल चूर्ण 2 ग्राम, सौठ, काला नमक और पोदीना (सभी औषधियो को 1-1 मराम) को 100 ग्राम जल के साथ पीसकर तदुपरान्त छानकर नित्य प्रति  पीने से अजीर्ण का पाचन होकर भुख खुलकर लगने लगती है  टमाटर को आग से कुछ सेककर सेथा नमक ब काली मिर्च  मिलाकर खाने  सेभी अजीर्ण रोग नष्टहो जाता है अथवा टमाटर का रस 25 ग्राम लेकर उसमें  गरम जल तथा अल्प मात्रा मँं खाने बाला सोड़ा मिलाकर देने से भी अजीर्ण रोग  भाग जाता है  दालचीनी, सौठ तया इलायची समान मात्रा मे लेकर पीसलें, चूर्ण बनाकर् रख लें इसे भोजन से  पहले  एक चमच  लेना अरुवचि (मंदामिन)  लाभकर रहता है ।  . गिलोय, लोंग, दालचीनी का नू्ण 5-5 गराम की मात्रा मे कर आधा  लीटर पानी में पकाबे । आथा पानी शोष रहने पर खछानकर 25 गराम की मातरा में  दिनं में 3 बार लेने से अगिनिमांदा में बहुत लाभ होता है।  .  नारंगी का रस आवश्यकतानसार लेकर ईसमे थोडा सा नमक और सोंठ का 
का चूर्ण मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ जाती  है तथा अजीर्ण रोग नष्ट हो जाता है ।  कूट कड़वी 100 ग्राम काला नमक 400 ग्राम दोनों का चूर्ण करके  -  4 रर्ती की मात्रा में सेवन कराने से अजीर्ण नष्ट हो जाता है ।  e अमरूद के कोमल पतो के स्वरस 10 ग्राम में थोड़ी सी शक्कर (चीनी)  मिलाकर प्रतिदिन (दिन में 1 बार) पिलाने से भूख बढ़ती है तथा अजीर्ण का नाश  हो जाता है ।छाया मे सूका कर अनार के पत्ते 4 भाग तथा सेंधा नमक 1 भाग दोनों को  महीन पीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रख लें। इसे 4 ग्राम की मात्रामें प्रात: सायं  प्रतिदिन दो बार जल के साथ सेवन करने से अजीर्ण रोग नष्टहो जाता है ।  मुनक्का 6 नग, कालीमर्च 5 नग, भुना जीरा 10 ग्राम, सेंधा नमक  6 ग्राम, टाटरी 4 रत्ती पीसकर चटनी बनाकर खाने से अजीर्ण, अरुचितथा  मलावरोध में लाभ होता है ।  अदरक का रस5 ग्राम, नीबू का रस 3 ग्राम, भुना जीरा व सेंधानमक  1 ग्राम, मुनक्का 5 नंग, छोटी इलायची 8-10 नंग लें और सबकी चटनी बनाकर  दिन में 2-3 बार अजीर्ण के रोगी को चटायें अत्यन्त लाभप्रद योग है ।  -  नासपाती के रस में थोड़ा सा पीपल का चूर्ण मिलाकर पिलाने से अजी्ण  विकार दूर हो जाता है ।   अदरक का रस 10 ग्राम, नीबू का रस5 ग्राम सौंचर लबंग 1 ग्राम  सभी को मिलाकर पिलाने से अजीर्ण रोग नष्ट हो जाता है । नित्य भोजन के साथ  उसको सेवन करने से कभी अजी्ण नहीं होता है  " अदरक की चार अंगुल लम्बी गाँठ को आग से भूनकर सेंधा नमक लगाकर  नित्यप्रति खाली पेट चबा चबा कर थोड़ा-थोड़ कुचल-कुचलकर दाँतों से खाने  से पुराने से पुराना अजी्ण रोग भी नष्ट हो जाता  है। नीबू स्वरस 200 ग्राम में 100 ग्राम शक्कर मिलाकर 1 काँंच की मजबूत  कार्क (ढक्कन) युक्त शीशी में भरकर 15 दिनों तक धूप में रखें । तत्पश्चात्  इसे भोजन के साथ चाटने से पाचनशक्ति बढ़ जाती है तथा अजीर्ण रोग नष्ट हो  जाता है ।  . धनिये का चूर्ण 3 ग्राम, सौंठ का चूर्ण 3 ग्राम, 10 ग्राम गरम पानी  .  के साथ सेवन कराने से अजीर्ण में लाभम होता है ।
ड्रोणपुष्पी (गयूमा) 2 ग्राम तथा काली मर्च 11 नग लें पीसकर प्रात:काल  ताजे पानी से या अर्क सौंफ से फॉँक लें। मात्र दो-्तीन सप्ताह में ही रोगी को.खूब  भूख लगने लगेगी तथा अजीर्ण रोग नष्ट होकर चमत्कारिक लाभ होगा।  सेंधा नमक, सौंठ तथा हरीतकी सममात्रा में लेकर महीन चूर्ण कर लें। इसे  3-3 ग्राम की मात्रा में नित्य प्रात: तथा सायंकाल सेवन करायें । अजीर्ण नाशक है।  बिल्ब के मूदे में शक्कर, सौंठ, कालीमिर्च, इलायची, जीरा और कपूर  मिलाकर घौंट छानकर पिलाने से आँव दोष शमन होकर भोजन में रुचि बढ़ती है।  भुनी हींग, भुना जीरा सौंठ और सेंधा नमक सभी को सममात्रा में लेकर  पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें । इस चूर्ण का कुछ दिनों तक नियमित सेबन  करने से अजीर्ण रोग नष्ट हो जाता है ।  लाल मिर्च को -नीबू के रस में 40 दिनों तक खरल करके 2-2 रत्ती  की गोलियाँ बना लें,। एक 'गोली पान में रखकर खाने से अज़ीर्ण रोग नष्ट होकर  भूख लगने लगतीं है ।  धनियाँ तथा सौंठ सम मात्रा में लेकर पानी में औटाकर छान लें । इसे  थोड़ा-थोड़ा पीने से अजीर्ण, बदह्मी द्रू होकर भूख बढ़ती है।   तुलसी के प्तों का रस 100 ग्राम की मात्रा में कुछ दिनों तक लगातार  ! पीने से अजीरण का विकार दूर हो जाता है ।  सूखे खट्टे अनारदाने में सम भाग सफेद जीरा और काला नमक मिलाकर  गरम पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण दूर हो जाता है ।   छोटी पीपल का चूर्ण शहद के साथ कुछ दिनों तक नियंमित रूप से  चाटने से पाचनशक्ति बढ़ जाती हैं तथा अजीर्ण नष्ट हो जाता है ।  . छोटी हरड़ फो भूनकर काले नमक के साथ फंकी लगाने से अजीर्ण आदि  समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं  छोटी जामुन का रस5 लीटर तथा पाँचों प्रकार के नमक 50-50 ग्राम  की मात्र में लें। पहले रस को कपड़े से छानकर  । तत्पश्चात् पाँचों नमक (पिसे हुए)  एक काँच के किसी बर्तन में बन्द करके धूप में एक महीना तक रखने के बाद  में पुन: छानकर बोतलों में भरकर सुरक्षित रख लें। इसे 4-5.चम्मच बराबर जल  मिलाकर भोजनोपरान्त सेबन कराने से अरुचि, अजीर्ण, मंदाग्न, इत्यादि विकारों  में आश्चर्यजनक लाभ होता है ।  काला नमक तथा खद्टा चूना 40-40 ग्राम तथा अजवायन, लौंग काली मिर्च 4-4 ग्राम लेकर सभी को खरल में डालकर-4-4 रत्ती की गोलियाँ  बनाकर सुरक्षित रख लें । यह गोलियाँ अरुचि, अजीर्ण तथा वायुनाशक है। दो  से चार गोली आवश्यकतानुसार गरम जल से सेवन करायें अथवा मुख में डालकर  चूसने को कहें  -  टाटरी काली मिर्च, यवक्षार, सेंधानमक, काला जीरा 40-40 ग्राम हींग  व पिपरमेंनट 3-3 ग्राम सभी का बारीक चूर्ण बनालें । यह अत्यन्त सांदष्ट व  रुचिकारक अजीर्नाशक चूर्ण है । इसे 1-2 ग्राम भोजनोपरान्त अथवा किसी भी  समय व्यवहार करें I  हरड़ का बक्कल, काला नंमक एवं पीपल प्रत्येक 1-1 भाग तथा हींग  .  तथा सुहागे का फूला चौथाई-चौथाई भाग सभी को लेकर ब्रीक चूर्ण बनायें । इसे  नित्य गरम जल से 3 से 6 यराम की मात्रा में सेवन करें। अजी्ण;, अरुचि, भूख  न लगना इत्यादि विकारों में अत्यन्त ही लाभकारी है ।  सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, दालचीनी, अजवायन, अजमोद, लौंग, हींग  (धी में भुनी हुई) अकरकरा, सेंधा नमक, सौंचर नमक, मिश्री सभी औषधियाँ 10-  10 ग्राम तथा किशमिश, अदरक, छुआरा (गुठली निकालकर) इच्छानुसार लेकर  सभी को घोंट पीसकर ऊपर से नीबू का रस निचोड़कर शीशी में भरकर मुख बन्द  कर सुरक्षित रख लें। इस चटनी को भोजनोपरान्त थोड़ा-थोड़ा खाने से अजीर्ण "  नष्ट हो जाता ह  -   शक्तिवर्क चूर्ण- अजवायन, इलायची, काली मिर्च, सौंठ सभी को  समान मात्रामें लेकर पीसकर सुरक्षित रख लें।आधा चम्मच सुबह-शाम दो बार पानी  से सेबन कराें। यह चूर्ण दूर्बलता नाशक है । टॉनिक के तौर पर इस्तेमाल करायें।   छोटी इलायची के बीज, सौंठ, लोंग तथा जीरा, सभी को सममात्रा में  लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें । इसे 2 ग्राम की मात्रा में भोजनोपरान्त  सेवन करने से भोजन शीघ्र पच जाता है  दो ग्राम पिसी कालीमिर्च फॉककर ऊपर से नीबू का रस मिश्रित गरम  जल से सुबह तथा रात्रि के समय पियें । केवल 10-12 दिनों तक लगातार पीने  से पेट में गैस बनना बन्द हो जाता है ।   दालचीनी आधा ग्राम तथा इतनी ही मात्रा में सौंठ व बड़ी इलायची (कुल  डेढ ग्राम) को पीसकर भोजन से पहले सेबन करने से भूख बढ़ती है, मन्दागिन नष्ट  होती है तया कब्ज मिटती है ।  " धनिया 50 य्राम, काली मिर्च तथा नमक 20-20 ग्राम को बारीक पीसकर  चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें । खाना खाने के बाद में 3 ग्राम की मात्रा में सेबन  करायें । इसके प्रयोग से जिस रोगी के आमाशय में आहार बहुत कम ठहरता है--  अर्थात शीघ्र ही मल के रास्ते निकल जाता है । उसके लिए अल्प मूल्य में अमृत  समान योग है  -   पेट में किसी भी तरह की गड़बड़ी हो, जैसे- अपचन, अगनिमांद्य, पेटदर्द,  अथवा अफरा (पेट फूलना) आदि मैं प्यान का रस अदरक का व लहसुन का  रस प्रेक 1-1 चम्मच लेकर तथया 3 चम्मच शहद मिलाकर भोजन से पर् सेवन  करायें । सिरके के साथय प्याज पीसकर सेवन करना भी लाभप्रद है । इसमें अदरक  का रस तथा कुछ काला नमक डाल लिया जाये तो अधिक लाभप्रद योग बन  जाता है ।  बिशेष नोट-यदि किसी रोगी के आमाशय में भोजन सड़ जाये और उसको निकालने की  आबश्यकता हो तो 12-13, ग्राम नमक 1 गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिलाने से कै (बमन)  आ जाती है तथा मैदे का खराव भोजन बाहर निकल जाता है । यदि किसी विष का किसी रोगी  ने सेबन किया हो या नशा किया हो तो 60 ग्राम नमक पानी में घोलकर पिलायें, इससे उल्टियां  होकर विषैला अ्यवा नशीला पदार्थ वाहर निकल जायेगा  -  यदि किसी रोगी की छाती में जलन (गर्मी का असर) हो तो नमकीन  शिकंजबीन पिलायें ।- यदि अजीर्ण से जलन हो तो 10 ग्राम 'नमक ताजा पानी  में घोलकर (डेद दो गिलास पानी में) पिला दें, ताकि वमन होकर छाती अच्छी  हो जाये ।पुदीना घोंटकर नमक मिलाकर उसमें नीबू की 5 बूंद निचोड़कर चटाना  भी लाभकारी है  -  यकृत की गड़बड़ी और आँखों के सामने चकाचोंध जान पड़ने पर गरम  पानी में नीबू मिलाकर पिलाना. चाहिए ।  . एक चुटकी पिसी हुई राई सबजी में डालकर बनाकर खाने से खाना भली  प्रकार हज्म हो जाता है तथा भूख खुलकर लगने लगती है । अर्थात मन्दागिन,  अरुचि नष्ट हो जाती है  -  " आमाशय को शक्तिशालीं बनाने तथा मुँह के छालों से छुटकारा पाने  हेतु केवल सौंफ के चूर्ण का प्रतिदिन सुबह शाम अथबा भोजनोपरान्त 8 ग्राम की  मात्रा सेवन करें,। इसके प्रयोग से नेनों (आँखों) की ज्योति भी बढ़ जाती है।  आमाशय में हवा जमा होकर पेट फूलने लगे तब यह लौंग का अर्क  प्रयोग कों :लौंग का चूर्ण डेढ ग्राम खौलते आधा लीटर पानी में जब पूरी तरह  से भीग जाये तब छानकर प्रयोग में लें । नित्य प्रति इसे दिन में 3 बार 25-25  ग्राम की मात्रा में प्रयोग करायें ।


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