आमवात (सन्धिवात) (Rheumatism)जोड़ो का दर्द)
(आमवात (सन्धिवात) (Rheumatism)जोड़ो का दर्द)
रोग परिचय-इस रोग में एक बड़ी सन्धि में पीड़ा और सूजन होती है। कुछ दिन में वह तो ठीक हो जाती है परन्तु दूसरी सन्धि में पीड़ा हो जाती है।
उपचार
धतूरे के पत्तों पर एरन्ड तैल चुपड़कर जोड़ों की सूजन पर बाँधकर ऊपर से नमक की गरम पोटली से सेंक करने से विशेष लाभ होता है।
• असगन्ध चूर्ण 3 ग्राम में समभाग घृत और 1 भाग शक्कर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सन्धिवात में लाभ होता है।
करेला के छिलके को निगलकर शेष भाग को आग पर 10 मिनट रखकर भुर्ता बनालें और फिर उसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को सुहाता-सुहाता गरम सुबह-शाम प्रतिदिन 10 दिनों तक लगभग 100 ग्राम की मात्रा में खिलाने से आमवात में लाभ होता है।
मैथी को पीसकर बनाया गया चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में पानी या तक्र के साथ सेवन करने से आमवात में शीघ्र लाभ होता है। अथवा मैथी और सौंठ का चूर्ण 4-4 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करने से आमवात नष्ट हो जाता है।
• एरन्ड तैल प्रातःकाल कुछ दिनों तक खाली पेट लेने से आमवात समूल नष्ट हो जाता है।
लहसुन का रस 6 ग्राम गोदुग्ध 50 ग्राम में मिलाकर पिलाते रहने से कुछ ही दिनों में आमवात में लाभ होता है।• रात्रि को 250 ग्राम खजूरों को पानी में भिगो दें। सुबह मलकर रस नियोड़ लें। इसको पिलाने से आमवात में लाभ होता है।
• नागौरी असगन्ध, सौंठ, विधारा तीनों को 50-50 ग्राम तथा मिश्री 150 ग्राम सभी को बारीक कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें। इसे 6 से 10 ग्राम तक की मात्रा में गरम जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन कराने से आमवात, सन्धिवातं में शीघ्र लाभ होता है।
• कुचला शुद्ध और काली मिर्च दोनों को सममात्रा में लेकर अदरक के रस में घोंट कर मूंग के आकार की गोलियाँ बनाकर सुखाकर शीशी में सुरक्षित रखें। इसे सुबह-शाम (1) गोली) पानी के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में पुराने से पुराना आमवात नष्ट हो जाता है।
• चोबचीनी 1 किलो, दालचीनी, अकरकरा, जावित्री, सोंठ, सतावर, वंशलोचन, लवंग, पीपल, श्वेत मूसली, जायफल, (प्रत्येक 6-6 ग्राम) सभी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें तथा इसमें बराबर वजन में मिश्री मिलालें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गोदुग्ध के साथ सेवन करने से आमवात में लाभ होता है।
सरसों का तैल 200 ग्राम, काला जीरा 3 ग्राम, धतूरे का फल 1 नग, लहसुन 10 ग्राम, अफीम 15 ग्राम। लोहे की कड़ाही में तैल को फैन निकलने तक गरम होने दें, फिर काला जीरा छोड़ दें। इसके बाद धतूरे का फल तथा उसके बाद लहसुन डालें । तत्पश्चात् अफीम और कर्पूर डालें। ठण्डा होने के बाद छानकर बोतल में रख लें। इस तैल को 2-3 बार लगाने से हर प्रकार का वात का दर्द जड़ से नाश हो जाता है। यह योग आमवात में विशेष लाभकारी है। परीक्षित है।
• मिट्टी का तैल 1 कि., सरसों का तैल 1 कि., शुद्ध मोम 125 ग्राम, इलायची का तैल 1 औस, लौंग का तैल 1 ड्राम लें। प्रथम सभी तैलों को परस्पर मिला लें। फिर यह तैल थोड़ा गरम करके धूप में बैठकर मलने तथा मालिश करने के बाद ऊपर से रुई बाँधने से सन्धि शूल आमवात नष्ट हो जाता है। इसके अतिरिक्त भी सभी अन्य शूलों में भी लाभप्रद है।
• कुचला 8 नग, खुरासानी अजवायन 100 ग्राम, कलौंजी 200 ग्राम का चूर्ण कर 750 ग्राम सरसों के तैल में जलावें। तेल मात्र शेष रह जाने पर आग से पात्र उतार कर छानकर व्यवहार करने से (मालिश करने से) आमवात में विशेष लाभ होता है।• मिट्टी का तैल 40 ग्राम, कपूर पिसा हुआ 10 ग्राम लें। दोनों को शीशी में डालकर मजबूत कार्क लगादें तथा आधा घन्टा धूप में रख दें। फिर दोनों को हिला लें। जहाँ दर्द हो वहाँ धीरे-धीरे इस तैल की मालिश करें तथा बाद में सिंकाई कर दें। दर्द ठीक हो जाएगा। यह तैल वात रोगियों के लिए अमृत समान है।
• अजवायन 3 ग्राम, काला नमक 5 ग्राम को मिलाकर (यह एक मात्रा है) दिन में 3 बार गरम जल से सेवन करने से पतला पाखाना तथा आम का बनना बन्द हो जाता है। आमवात नाशक भी है।
आमवात नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग
रूमालयी टेबलेट (हिमालय ड्रग) 1-2 गोली दिन में 2-3 बार दें। आमवात तथा अन्य वात रोगों में लाभप्रद है। इसकी मालिश हेतु मलहम भी आती है।
आर. कम्पाउण्ड (अलारसिन) 2-2 टिकिया दिन में 3-4 बार, तदुपरान्त 1 से 6 माह तक दिन में 2 बार दें। आमवात तथा अन्य वात रोगों में उपयोगी हैं।
शुण्ठियादि टेबलेट (झन्डू) 1 से 4 गोली दिन में 3 बार। लाभ उपर्युक्त।
रीमानील टेबलेट व लिनिमेन्ट (चरक) 1-1 गोली दिन में 3 बार ।
पीड़ाहर टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
रूमालिन टेबलेट (मोहता रसा.) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
डी. ए. पायरिन टेबलेट (देवेन्द्र फार्मा.) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
मायोस्टाल कैपसूल (धूतपापेश्वर) 1-1 कैपसूल दिन में 3 बार ।
वातान्तक कैपसूल (गर्ग बनौ.) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
वातारि कैपसूल (पंकज फार्मा.) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
वातकन्टक कैपसूल (मिश्रा) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
वातरोग हर कैपसूल (ज्वाला) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।
रास्नाघनसत्व टेबलेट (गर्ग बनौ.) 1-2 गोली दिन में 3 बार दें।
बात नौल मलहम (गर्ग) पीड़ित स्थान पर मालिश कर सिंकाई करें तथा एरन्ड पत्र बांध दें। आमवात के रोगियों के लिए अमृत समान लाभप्रद है।
रूमालया मलहम (हिमालय ड्रग) धीमे-धीमें मालिश करें ।
रास्ना फोर्ट पेय (शक्ति फार्मेसी) 1-2 चम्मच भोजनोपरान्त । आमवात एवं अन्य वातरोगों में उपयोगी
वातकिल मलहम (अतुल फार्मेसी) आमवात, गृधसी, पक्षाघात, दर्द, सूजन पसली तथा गले के दर्द में लाभप्रद है। दर्द के स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करेंतथा बाद में गर्म रुई से सिंकाई करें। यदि सूजन अधिक हो तो अन्डी के ताजा पत्ते पर थोड़ा-सा मलहम चुपड़ कर और पत्ते को थोड़ा गरम करके बांध दें तथा इसके साथ ही वात किल कैपसूल 1-1 सुबह शाम प्रयोग करें।
वातकिल कैपसूल (अतुल फार्मेसी) आमवात, पक्षाघात, गृधसी, जोड़ों का दर्द, सूजन तथा समस्त वात विकार नाशक है। यह 1-1 कैपसूल सुबह-शाम दूध या चाय से दें।
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