स्मरण-शक्ति की क्षीणता,dimaag kamjor hona,yadast kamjor hona,bhoolne ki bimari,bhoolna

(स्मरण-शक्ति की क्षीणता,dimaag kamjor hona,yadast kamjor hona,bhoolne ki bimari,bhoolna))

रोगी की याददाश्त कमजोर हो जाती है। वह अपनी ही वस्तुओं को यहाँ तक कि रिश्तेदारों और मित्रों के नाम तक को भूल जाता है निम्न दवा दें-

स्वप्नहरी टेबलेट (डाबर) 1-2 टिकिया दिन में 2 बार । अथवा आवश्यकतानुसार दें। पेट साफ रखें। कब्ज न रहने दें।

दिमागीन (मु. तिब्बिया यूनिवर्सटी अलीगढ़) (यूनानी योग) 5-5 ग्राम बिस्कुट पर लगाकर सुबह-शाम खायें ।गावजवां अम्बरी जवाहर बालाखास (हमदर्द) (यूनानी योग) 5-5 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें ।

शंखपुष्पी सीरप (ऊंझा) 1-2 ड्राम दिन में 2-3 बार दें।

शर्वत ब्राह्मी (गर्ग) 10-20 मि.ली. दिन में 2 बार लें।

ब्राह्मी शंखपुष्पी कैपसूल (गर्ग) आवश्यकतानुसार 1-2 कैपसूल लें।

ब्राह्मी तैल (झन्डू) आवश्यकतानुसार सिर में मालिश करें। बाजार में अन्य (नवरत्न तैल, हिमताज तैल, जयगंग तैल इत्यादि भी आते हैं) यह समस्त तैल भी लाभप्रद है।

लीवर एक्सट्रेक्ट ऑफ ब्राह्मी (झन्ड्) 4 से 8 मि.ली. अथवा आवश्यकतानुसार दिन में 3 बार जल के साथ लें ।

ब्राह्मी शंखपुष्पी घनसत्व (गर्ग) 1-1 ग्राम सुबह-शाम जल से दें।

ब्राह्मी शंखपुष्पी टेबलेट (गर्ग) 1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार दिन में 1-2 बार सेवन करें।

शक्ति संचय सीरप (अतुल फार्मेसी) 2-2 चम्मच दिन में 3 बार दूध या पानी से। बच्चों को इसकी आधा मात्रा दें।

सामान्य दुर्बलता

सामान्य दुर्बलता में निम्नलिखित प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदिक योगों का निर्भयता पूर्वक व्यवहार करें ।

ओजस टेबलेट एवं सीरप (चरक) 3 से 6 चम्मच या 2 टिकिया दिन में 2 बार बच्चों को 3 चम्मच या 1 टिकिया दिन में 2 बार दें।

पेड्रिटोन पाउडर (चरक) - शिशु की पूर्ण देखभाल रोग निरोधक, सामान्य विकास में सहायक एवं मस्तिष्क विकास में सहायक। इसे 6 माह से कम आयु के शिशुओं को 1 ग्राम दिन में 2-3 बार तथा 6 माह से ऊपर आयु के शिशुओं को 2 ग्राम दिन में 2-3 बार दें।

एडिजुआ टेबलेट (चरक)- शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता, पुरुषों में कामोत्तेजना का अभाव, लैंगिक दुर्बलता, वृद्धावस्था की कमजोरी में 2-2 टिकिया दिन में 3 बार 6 सप्ताह तक प्रयोग करें ।

अल्सारेक्स टेबलेट (चरक) - पौष्टिक, अल्सर, अति अम्लता, सीने में जलन, उदरदाह, आन्त्रशोथ, अम्ल, मन्दाग्नि, वात रोग नाशक व दर्द नाशक। 2-2 टिकिया दिन में 3-4 बार 6 सप्ताह तक हल्के भोजन के साथ ।अर्जुनिन टिकिया. (चरक)- क्षतिग्रस्त हृदय का उपचार, सांस की तकलीफ एवं स्थानिक रक्ताल्पता। 2-2 टिकिया दिन में 2-3 बार ।

विकामिन टिकिया (चरक) - चिड़निड़ापन, मनस्ताप, मनोविकार विक्षिप्तता एवं खन्डित व्यक्तित्व में 2-2 टिकिया दिन में 3 बार।

कैरीटोन टिकिया (चरक)- गर्भावस्था में स्वास्थ्यवर्धक है। गर्भ को पूर्णरूपेण सुरक्षित रखने तथा गर्भावस्था के दौरान किसी भी गड़बड़ी जैसे- गैस (वायु) मन्दाग्नि पांव की मांस पेशियों में खिंचाव, अनिद्रा आदि में भी उपयोगी है। 2-2 टिकिया दिन में 3 बार पूरी अवधि प्रसव होने) तक दें ।

सेफाग्रेन टिकिया और ड्राप्स (चरक) नाड़ी में आकस्मिक तनाव, सिरदर्द, आधासीसी में (नोट- नाड़ी में संकुचन, तालु प्रदाह तथा गर्भावस्था में प्रयोग निषेध है।)

ओरूक्लीन टिकिया (चरक) - पेशाब में जलन, मूत्राशय प्रदाह, गुर्दे में पीप आना, मूत्र नली में अवरोध, मूत्राशय में सूजन, मूत्राशय की पथरी में तथा सह विकारों औषधि के रूप में (प्रतिरोधक असर न हो इस आशय से लें)।

नोट-इसी कम्पनी द्वारा निर्मित 'कैलक्यूरी' टिकिया मूत्राशय तया समस्त प्रकार की अश्मरी (पथरी) हेतु अत्यन्त लाभप्रद है। 2 टिकिया दिन में 3-4 बार। औरूक्लीन टिकिया बच्चे को एक टिकिया दिन में तीन बार दें।

पांलरिविन फोर्ट टिकिया (चरक)- नपुंसकता, विलम्ब से वीर्य स्खलन,

लैंगिक-दुर्बलता, महिलाओं में काम वासना का अभाव, समय से पूर्व बुढ़ापा आ जाना में टॉनिक के रूप में 1-2 टिकिया दिन में 2 बार दूध से लें।

पेडिलेक्स सीरप (चरक) कब्जियत विशेषकर रोग शैय्या पर पड़े रोगियों जैसे-गर्भावस्था के दौरान म्दें। वयस्कों को 2-3 चम्मच सोते समय पानी के साथ दें। बच्चों को 1-2 चम्मच तथा शिशुओं को आधी चम्मच दें।

फेमीफोर्ट टिकिया (चरक) श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर अथवा पुराना मानसिक तनाव, स्थूलता, व्यायाम के अभाव में होने वाले प्रदर में 2 टिकिया दिन में 2 बार लें।

फैमीप्लेक्स टिकिया (चरक) श्वेत प्रदर व रक्त स्राव (तीव्र या पुराना) 2-2 टिकिया दिन में 3 बार 6 सप्ताह तक सेवन करें ।

गेलाकाल टिकिया (चरक)- दुग्धपान कराने वाली माताओं के दुग्ध स्राव के अभाव में स्तर मात्रा (दुग्धवर्धक) है। 2-2 टिकिया दिन में 4 बार 6 सप्ताह तक बाद में 2 टिकिया दिन में 3 बार दुग्ध स्वाव होने तक।गार्लिल टिकिया (चरक) उदर स्फीति, पेट व आंत में वायु (गैस),

मन्दाग्नि, भोजनोपरान्त होने वाली घबराहट में (नोटे- खूनी बबासीर तथा पेट दद के रोगी को न दें) 2-2 टिकिया दिन में 2-3 बार भोजनोपरान्त 6 सप्ताह तक । बच्चों को आधी मात्रा देह

गमटोन पाउडर (चरक) मसूढ़े फूलना और उनसे रक्तस्त्राव होना,

पायोरिया की प्रथमावस्था, दाँतों के विकार हेतु अत्युनम मंजन है। आधा चम्मच पाउडर बुश पर रखकर मसूढ़ों तथा दाँतों पर हल्के-हल्के सुबह-शाम मलें ।

जे. के. 22 टिकिया (चरक) पुराने मधुमेह के रोगियों हेतु जब प्राथमिक अथवा अन्य उपचार से लाभ न हो। मूत्र शर्करा एवं रक्त शर्करा के लिए अत्युनम है। नोट-बालकों के मधुमेह में तथा सगर्भा को न दें।

कोफोल टिकिया (नरक) गले में खराश, सूखी खाँसी, कण्ठ शोथ,

गले में सूजन, टॉन्सिल, गले की झिल्ली में सूजन में उपयोगी है। इसकी 1-1 टिकिया प्रति घंटे पर मुख में रखकर गलने दें।

लिवोमीन ड्राप्स टिकिया, सीरप (चरक) - मन्दाग्नि, यकृत विकार,

पोलियो के साथ यकृत में विकार, मदिरापान के कारण यकृत क्षय, यकृत पर चर्बी जम जाने, अन्य औषधियों के दुष्प्रभाव स्वरूप यकृतक्षय तथा कुष्ठ रोग व तपेदिक में यकृत को प्रभावशाली बनाती है। मात्रा- वयस्कों को 2-3 चम्मच या 2-3 टिकिया दिन में 2-3 बार। शिशुओं को (ड्राप्स) 5 से 10 बूंद तक दिन में 3- 4 बार कम से कम 6 सप्ताह तक दें।

लिक्विटोन सीरप (चरक) - शिशुओं में सामान्य निर्बलता, वृद्धि रुकना, सूखा, रोग, भूख न लगना तथा अत्यधिक लार निकलना। शिशुओं को 1 चम्मच दिन में 3 बार तथा बच्चों को 2-3 चम्मच दिन में 2-3 बार दें।

ल्यूनारेक्स फोर्ट टिकिया (चरक) अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म

बन्द होना (गर्भावस्था में नहीं देना चाहिए अन्यथा गर्भपात हो सकता है। मासिक के न होने पर 2-2 टिकिया दिन में 3 बार मासिक होने तक तथा अल्प मात्रा में मासिक होने पर 2 टिकिया दिन में 3 बार मासिक के सात दिन पहले से शुरू करके मासिक के नियमित होने तक दें।

मेनाल टॉनिक और टिकिया (चरक) - सामान्य दुर्बलता, खून की कमी, पेट में तकलीफ, गर्भावस्था में रक्ताल्पता, अति अम्लता और मुँह के छालों में उपयोगी है। वयस्कों को 2 चम्मच या 3 टिकिया दिन में 3 बार दें। बच्चों को आधी मात्रा दें।एम. स्टोन सीरप (वरक)- यौवनारम्भ में विलम्ब, अनियमित मासिक

धर्म, गर्भ ठहरने में कठिनाई, रजोनिवृत्ति की गड़बड़ी में अति उपयोगी है। तीन चम्मच दिन में 3 बार कम से कम 8 या 10 सप्ताह तक लें।

नेडटिकिया (चरक) - मिर्गी रोग, गम्भीर अपस्मार, सौम्य अपस्मार

मानसिक तनाव व ऐंठन रोग में 2 टिकिया दिन में 3 बार तथा बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार दें।

नियो टिकिया (चरक) वीर्यपात, स्वप्नदोष, पेशियों की सिकुड़न, कमर

दर्द, महिलाओं में पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पौरुष ग्रन्थि में वृद्धि, हथेली व तलुवों में अधिक पसीना आना तथा बाल्यावस्था में बिस्तर गीला करना आदि में अत्यन्त उपयोगी । वयस्कों को 2 टिकिया दिन में 3 बार बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार ।

ओबेनील टिकिया (चरक)- मोटापा, बिना किसी प्रकोप, मधुमेह के कारण

मोटापा, रक्तदाब बढ़ना व हृदय रोग में 2-2 टिकिया दिन में 3 बार दें। कम से कम 12 सप्ताह तक भोजन में परहेज व परिश्रम (कसरत) आवश्यक है। बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार दें।

ट्राक्विनिल टिकिया (चरक)- अत्यधिक तनाव, रक्त चाप व मासिक धर्म से पूर्व तनाव, तनाव के कारण सिरदर्द, अनिद्रा व अन्य मासिक परेशानियों में 3-3 टिकिया दिन में 2-3 बार। बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार दें।

अर्टिब्लेक्स टिकिया (चरक) - यह औषधि भीतरी व बाहरी विष का प्रभाव

मिटाकर तीव्रगाही असर को समाप्त करती है। यकृत भी कार्य क्षमता को बढ़ाती है। वात, पित्त, कफ (त्रिदोष) का सन्तुलन करती है। तीव्रवाष्ही चर्म रोगों में 2 टिकिया दिन में 3 बार लगातार प्रकोप प्रलुप्त होने के 6 दिन बाद तक करें। बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार दें।

विगराल जैली और टिकिया (चरक) - सामान्य दुर्बलता में आरोग्य

प्रदायक, बीमारी के बाद स्वास्थ्य लाभ हेतु, उदासीनता और तनाव में भी उपयोगी। 1 चम्मच या 2 टिकिया दिन में 2 बार। बच्चों को आधी मात्रा दें।

बोमीटेव सीरप और टिकिया (चरक) अम्ल नाशक तथा उल्टी रोकने

हेतु उत्तम है। गर्भावस्था की वमन व मिचली से छुटकारा दिलाती है। सीरप को धीरे-धीरे चाटकर सेवन करने से अधिक प्रभावशाली असर होता है। वयस्कों को 2 चम्मच या 2 टिकिया प्रत्येक आधा घन्टे पर। बच्चों को 1 चम्मच या 1 टिकिया तथा शिशुओं को आधी चम्मच प्रत्येक आधा घन्टे पर दें।व्हीपेक्स सीरप (नरक)- दमा, सूखी खाँसी, बोकाइंटिस, श्वास-नली में सूजन आदि में वयस्कों को 2-3 चम्मच दिन में 3 बार, बच्चों को 1 चम्मन दिन में 3 बार तथा शिशुओं को आधा चम्मच दिन में 3 बार दें।লক

सर्टिना टेबलेट (चरक) तपेदिक जैसे जीर्ण रोग में शरीर में शवित बढ़ाती है। सह औषधि के रूप में सेवन करें। इसकी 2 टिकिया दिन में 3 बार तथा बच्चों को 1 टिकिया दिन में 3 बार दें।

केलिकार्य टिकिया (नरक)- यह औषधि कोलेस्टराल तथा ट्रायग्लिसराइड

के बढ़े हुए रक्त स्तर को कम करती है तथा कोलेस्ट्राल और लेसिथिन के अनुपात को सामान्य बनाती है। खून का सामान्तर दौरा खोलती है। हायपर केलिस्ट्रोमिया, हायपर ट्राइग्लोनेराई डिमिया, अथरोस्केलेरोसिस व स्थानिक रक्ताल्पता में उपयोगी है। इसकी 2 टिकिया दिन में 3 बार लें।

कृमिनिल सीरप (चरक) उदर-कृमि, गोल कृमि, पिनकृमि एवं हुक कृमि में वयस्कों को 2-3 चम्मन (10 से 15 मि.ली.) दिन में 3 बार) बच्चों को उपरोक्त की आधी मात्रा दें।

क्यूरिल टिकिया (चरक) मलेरिया, इन्फ्लुएन्जा, सर्दी, जुकाम तथा अज्ञात किस्म के ज्वरों में उपयोगी है।

नोट-आन्त्र ज्वर बाले रोगियों को निषेध है। इसकी 2-3 टिकिया दिन में 3 बार लगातार लक्षणलुप्त होने के 7 दिन बाद तक सेवन करें। बच्चों को आधी मात्रा दें।

दीपन टिकिया (चरक) - विभिन्न प्रकार के दस्त, कृमिजन्य मौसमी दस्तों में उपयोगी है। ये 2 से 4 टिकिया दिन में 3 बार लगातार रोगमुक्त होने के

6 दिन बाद तक दें, बच्चों को आधी मात्रा दें।

डिटान्सी टिकिया और पेन्ट (चरक) टान्सिल लाइटिस (तीव्र और

पुराना) मुखशुद्धि हेतु उपयोगी है। यह मुख और गले के क्षेत्र में रस ग्रन्थियां के जीवाणुओं का नाश करती है और सूजन मिटाती है। दिन में 3-4 बार (पेन्ट) टान्सिल पर लगायें ।

डायडिन सीरप (चरक) विविध प्रकार के दस्तों में उपयोगी है, 3 से 6 चम्मच (15 से 30 मि.ली.) दिन में 3 बार लक्षणलुप्त होने के सात दिन बाद तक सेवन करें। बच्चों को आधी मात्रा प्रयोग करायें।

ड्रायकोनील सीरप (चरक) - सूखी खाँसी, सर्दी, जुकाम, उच्चताप, गले

में खराश, गले की झिल्ली में सूजन, कण्ठ शोथ व श्वास प्रणाली शोथ में उपयोगी है। मात्रा वयस्कों को 2-3 चम्मच 3-3 घंटे पर। बच्चों को आधी मात्रा दें।प्यूरिला सीरप (चरक) - तीव्र व पुराने या बार-बार होने वाले चर्म रोगों में उपयोगी है। इसे 2 चम्मच लगातार 3 बार प्रकोप मिटने के 7 दिन बाद तक बच्चों को 1 चम्मच दिन में 3 बार प्रयोग करायें।

रेग्यूलेक्स फोर्ट टिकिया (चरक) कब्जियत यदा कदा अथवा आदतन। इसके सेवन से आदत नहीं पड़ती है। सेवन करने के 8-10 घंटे बाद असर करती है। बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से दी जा सकती है। कब्ज की पुरानी शिकायत में तथा मांसाहारियों की कब्ज में भी उपयोगी है। मात्रा- 1 फोर्ट टिकिया रात्रि में सोते समय लें।য়া আম

रीमानील लिनिमेन्ट (चरक)- गठिया, वात रोग, नाड़ी शोथ, तन्त्रिका

शूल, कटि-जोड़ों की हड्‌डी में सूजन, कमर में शूल, मोच, टखने में दर्द आदि में उपयोगी है। रीमानील टिकिया के साथ प्रयोग करने से तुरन्त आराम मिलता है। उपयोग-दर्द के स्थान पर हल्के हाथों से लगाकर दिन में 3-4 बार मलें।

रीमानील टिकिया (चरक) गठिया, वात रोग, नाड़ी-शोथ, तन्त्रिका

शूल, कटिशूल, जोड़ों की हड्डी में सूजन, सूत्रण रोग, कमर में शूल, टखने में दर्द आदि में उपयोगी। साथ में रीमानील लिनिमेन्ट का प्रयोग करें। मात्रा-2 टिकिया दिन में 3 बार बच्चों को आधी मात्रा दें

सपेराफोर्ट टिकिया (चरक) रक्त चाप, धमनियों, मूत्राशय और

तन्त्रिजनक गड़बड़ियों में तथा नाड़ी में तकलीफ तथा तनाव में उपयोगी है। 1 टिकिया फोर्ट दिन में 3 बार दें।

स्याज्या सीरप (चरक) ब्रोकिंयल, दमा, ब्रोंकाइटिस, सांस की तकलीफ में उपयोगी है। 2-3 चम्मच दिन में 3 बार बच्चों को 1 चम्मच दिन में 3 बार।

टीनापेन टिकिया (चरक) अनियमित मासिक धर्म, गर्भाशय का कम विकास, मासिक से पूर्व तनाव तथा मासिक में कठिनाई में 2 टिकिया दिन में 3 बार मासिक के 10 वें दिन से शुरू करके मासिक आने तक दें ।

शक्ति मकरध्वज टेबलेट (मार्तन्ड) शक्तिदायक, वाजीकरण, पौरुषवर्धक,

नपुंसकता नाशक है। मानसिक चिन्ता, मस्तिष्क और हृदय की दुर्बलता, मिर्गी, उन्माद, पक्षाघात, अर्दित, नाड़ी शूल, पान्डु रोग, कामला, रक्त की कमी, वीर्य की कमी, शीघ्रपतन, प्रमेह एवं हृदय रोगों में शीघ्र लाभकारी दिव्य औषधि है। श्वास रोग, पुरानी खाँसी और क्षय में भी लाभकारी है। हृदय, मस्तिष्क तथा वृक्कों को शक्ति देती है। भूख बढ़ाती है शुक्राणुओं को उत्पन्न करती है। इस औषधिका अद्भुत मिश्रण (योग) बुढ़ापा और मृत्यु को जीतकर मनुष्य को तेजस्वी, सप्राण, शक्तिशाली और जवान बना देता है। 1-2 टिकिया दिन में 1-2 बार अथवा आवश्यकतानुसार दूध से सेवन करें।

द्राक्षोविन सीरप (धूतपापेश्वर)- 1-2 चम्मच दिन में 2-3 बार प्रयोग करें। अतिशय दुर्बलता में अत्यन्त लाभकारी है।

अंगूरासव (झन्डू) - 10 से 30 मि.ली. दिन में 2-3 बार लें। सामान्य दुर्बलता नाशक अति उत्तम पेय है।

रक्तोफा स्फोमाल्ट (झन्डू)- 10 से 30 मि.ली. दिन में 2-3 बार लें। अतिशय गुणकारी, स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक है।

शुद्ध शिलाजीत (झन्डू) आवश्यकतानुसार दें। दुर्बलता नाशक है।

शमशामनी पिल्स नम्बर 1 (झन्डू) दुर्बलता नाशक उत्तम योग है।

इथिबाइट टेबलेट (मेडिकल इथिक्सि)- 2-3 गोली दिन में 3-4 बार अति दुर्बलता में अति उपयोगी है।

इथिलीवर फोर्ट (मेडिकल इथिक्टिस) 2-2 टिकिया दिन में 3 बार अथवा आवश्यकतानुसार प्रयोग करें। बच्चों के लिए सीरप तथा नन्हें शिशुओं को इसका ड्राप्स भी आता है। यह प्रत्येक प्रकार की दुर्बलता में अत्यन्त उपयोगी है।

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