फैलोपियन प्रणालियों का फट जाना,fallopian tube ka fast jana)

(फैलोपियन प्रणालियों का फट जाना,fallopian tube ka fast jana)

रोग परिचय- फैलोपियन ट्यूब स्वी की योनि के भीतरी अंग के अन्तर्गत होती है। यह गाय की दुम की भाँति दो पतली नलियाँ हैं, जो गर्भाशय के दोनों ओर ऊपरी भाग. में डिम्बाशय और गर्भाशय के मध्य में स्थित होती है। इसकी प्रत्येक नली की सामान्यतः लम्बाई 11 या 12 सेन्टीमीटर तक होती है और गर्भाशय के ऊपरी किनारे से प्रारम्भ होकर गर्भाशय के चौड़े बन्धन पेडू में मूत्राशय और मलाशय के मध्य में होती है, इसकी औसत लम्बाई अधिक सन्तानें वाली स्वियों में (10 सेमी. लम्बाई, 6 सेमी. चौड़ाई तथा 4 सेमी. मोटाई और वजन लगभग 30 से 40 ग्राम होता है। यह आठ बन्धनों द्वारा अपने स्थान पर स्थित रहती है। यह बन्धन 1. गोल बन्धन (राउन्ड लिगमेन्टस, 2. चौड़े बन्धन (ब्राड लिगमेन्टस, 3. अगले बन्धन (एन्टेिरियर लिगेमेन्ट्स तथा 4. पिछले बन्धन(पोस्टेरियर लिगमेन्ट्स) प्रत्येक बन्धन 2-2 अर्थात् कुल निलाकर 8 बन्धन है।

चौड़े बन्धन भी अन्य तीनों बन्धनों की भांति 2 होते है और यह गर्भाशय के दोनों ओर दांये व बांये पहले से पेडू की ओर दीवारों तक जाते हैं। प्रत्येक बन्धन की 2 तह होती है, इन्हीं तहों के मध्य में फैलोपियन ट्यूब ओवरीज के मध्य से होती हुई डिम्बाशय के ऊपर की ओर समाप्त होती है। गर्भाशय के समीप जहाँ से यह नाली आरम्भ होती है और जैसे-जैसे आगे बढ़नी है वैसे-वैसे यह बौड़ी होती जाती है और इसका अन्तिम भाग सबसे अधिक फैला हुआ होता है और इस सिरे पर बहुत से कटाव होते हैं जिसके कारण यह भाग (क्षेत्र) झालरदार हो जाता है। इस झालर का एक कोना डिम्बाशय के बाहरी ओर मिला रहता है। जब स्त्री का अण्डा (डिम्ब या ओवम) डिम्बाशय से निकलकर इस झालरदार सिरे में प्रवेश करता है तो यह नलियाँ अपनी गतिविधि से उसको गर्भाशय तक पहुँचाती है।

फैलोपियन प्रणालियों के फट जाने का कारण प्रायः पेडू पर जोर से मुक्का इत्यादि का तीव्र आघात अथवा पेडू के बल गिर पड़ना अथवा फैलोपियन ट्यूब में गर्भ हो जाना इत्यादि हुआ करता है। यदि इस नाली की बड़ी वाहिनी (रग या नस) फट जाए तो रक्त स्राव अत्यधिक मात्रा में जारी हो जाता है। यह रक्त पेडू के अन्दर खाली गड्‌ढे में एकत्रित होकर उभार उत्पन्न कर देता है जिसके कारण सख्त तीव्र दर्द होता है और रुग्णा को कम्पन के साथ ज्वर हो जाता है तथा प्रायः रोगिणी बेहोश हो जाया करती है।

उपचार-यदि नाली बहुत अधिक फट गई हो और पीड़ित स्त्री की दशा भयानक हो तो अपना घरेलू उपचार अथवा किसी नीम हकीम चिकित्सक के चक्कर में न पड़कर अतिशीघ्र ही किसी योग्य चिकित्सक द्वारा संचालित नर्सिंग होम अथवा निकटवर्ती राजकीय महिला चिकित्सालय में भर्ती करवाकर चिकित्सा करायें। प्यास और सख्त कमजोरी दूर करने के लिए ग्लूकोज (ग्लूकोन डी) पिलायें। साथ ही जल्द ही खून रोकने वाली देसी औषधियों का प्रयोग करें। अधिक मासिक धर्म आना रोग के अन्तर्गत जो उपचार लिखें है उन्हीं का प्रयोग करना चाहिए ।

• आधा सेर गुलाब जल में 1 तोला फिटकरी मिलाकर उबालें और छानकर बर्फ में ठण्डा करके पेडू के ऊपर पीड़ित स्थान पर रखें। रोगिणी को बिस्तर पर सीधा (चित्त) लिटाये रखें। अनार या मौसमी का रस, जौ का पानी अथवा अंगूर का रस पिलायें तथा रोग घट जाने पर पके मांस का रस, जूस (शोरबा) मूंग की दाल की पतली खिचड़ी (भदड़ी) और साबूदाना व रोटी आदि खिलायें ।

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