पार्श्वशूल कमर दर्द (Lumbago),कमर दर्द का इलाज

(पार्श्वशूल कमर दर्द (Lumbago),कमर दर्द का इलाज)

रोग परिचय प्रायः स्वी और पुरुष दोनों को यह दर्द होता है। वैसे अधिकांशतः यह वेदना स्त्रियों को ही होती है। कमर में एकाएक सख्त दर्द होने लग जाता है, जिसके कारण रोगी कमर को मोड़ने झुकाने या उठने-बैठने के अयोग्य हो जाता है। छींकने या थोड़ा सा हिलने पर ही रोगी को तड़पा देने वाला दर्द होने लगता है। अत्यधिक परिश्रम करने, झुककर भारी बोझ उठाने सर्दी लग जाने, सम्भोग की अधिकता एवं प्रदर विकार के कारण यह रोग हो जाता है।

उपचार

• शास्त्रीय औषधि योगराज गुग्गुल 2-2 गोलियाँ सुबह शाम महारास्नादि क्वाथ 15 से 30 मि.ली. समभाग जल में मिलाकर पिलायें तथा भोजन के साथ दिन व रात में 1 से 2 ग्राम की मात्रा में हिंग्वाष्टक चूर्ण गाय या भैंस के घी के साथ मिलाकर खिलायें ।

• सौंठ का चूर्ण 1 ग्राम, त्रिफला चूर्ण 2 ग्राम, छिला हुआ लहसुन 500मि. ग्राम, मीठा सोड़ा 250 मि. ग्रा. असगन्ध चूर्ण 2 ग्राम, इन्हें मिलाकर 2 मात्रा बनाकर हल्के नाश्ते के उपरान्त सुबह शाम खिलायें ।

• असगन्ध चूर्ण 3 ग्राम, गर्म पानी या गर्म अर्क सीफ से दिन में 2-3 बार दें। वात, कफ और सम्भोग की अधिकता के कारण होने वाले कमर दर्द में अत्यन्त लाभकारी योग है।

• लौह भस्म 60 मि.ग्रा. को यूनानी औषधि फिलसफा 6 ग्राम में मिलाकर 3 दिन में 2 बार खिलाना भी लाभप्रद है।

• पिसी हुई अलसी और राई को गरम पुल्टिस को कमर दर्द वाले स्थान पर बाँधना भी परम लाभप्रद है।

• खसखस और मिश्री दोनों को समभाग लेकर कूटपीसकर रख लें। यह 10 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से गरम दूध पीने से कमर दर्द मिटता है।

• छुहारे की गुठली निकालकर उसमें शुद्ध गूगल भर लें। फिर उस छुहारे पर आटे का मोटा लेप करके उसे आग में लाल होने तक खूब सेकें । तदुपरान्त आटे को उतार कर छुहारा और गूगल दोनों को कूटकर 8-8 मेन की गोलियाँ बना लें। सुबह शाम 1-1 गोली का दूध से सेवन करें। सभी दर्दो में उपयोगी है।

• सरसों का तेल 120 ग्राम, देशी कपूर 30 ग्राम लें। दोनों को मिलाकर शीशी को धूप में रखें। जब कपूर पिघल जाये, तब इसे दर्द के स्थान पर लगाकर मालिश करें। कमर दर्द में अत्यधिक लाभप्रद है।

• सौंठ और गोखरू 6-6 ग्राम का काढ़ा बनाकर पीने से कमर दर्द शान्त हो जाता है।

• काली मिर्च 10 ग्राम, देशी मोम 40 ग्राम, हल्दी व गुड़ 40-40 ग्राम लें। काली मिर्च एवं हल्दी का सूक्ष्म चूर्ण करें। गुड़ तथा मोम को गरम कर इसमें उक्त चूर्ण डालकर मर्दन करें। एक रस हो जाने पर जंगली बेर के समान गोलियां बनाकर रख लें। निर्धूम धुँआ रहित) अंगारों पर रखकर आक्रान्त स्थान पर धूनी दें। यह उदरशूल एवं वृक्कशूल की अव्यर्थ औषधि है। श्वांस रोग में धूम्रपान कराने से तत्काल ही दौरा का शमन हो जाता है और दन्त शूल, नेत्रशूल, तथा शोथ एवं पार्श्वशूल (कमर दर्द) में आश्चर्यजनक लाभकारी है।

कटिशूल नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

विष तिन्दुक बटी (झन्डू) 1 से 4 पिल्स दिन में 2 बार दूध के साथ प्रयोग करें।शूल केसरी कैपसूल (मिश्रा) 1-2 कैपसूल आंवश्यकतानुसार लें ।

पिप्पली चूर्ण (झन्डू) आधा से 2 ग्राम तक दिन मैं 3 बार लें।

करामाती टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद) 1-2 गोली लें।

डाबर, वैद्यनाथ, झण्डू, राजवैद्य शीतल प्रसाद आदि अनेक निर्माताओं द्वारा निर्मित "बाम" का पीड़ित स्थान पर मालिश करें।

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