गुदा की खुजली (Pruritis ani)goods ki khujli,chamdi ki khujli
(गुदा की खुजली (Pruritis ani)goods ki khujli,chamdi ki khujli)
रोग परिचय-गुदा को अच्छी तरह न धोने या कन्डू (खुजली) के कीटाणुओं का गुदा की त्वचा में संक्रमण हो जाने से यह रोग हो जाता है। इस रोग में गुदा की बाहरी त्वचा में सख्त खुजली हुआ करती है। बारीक और सख्त फुन्सियाँ निकल आती है जिसके फलस्वरूप त्वचा खुरदरी हो जाती है।
उपचार
• नीम का तैल, चाल मोगरा का तेल समभाग लेकर मिला लें। इसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर दिन में 2-4 बार लगाना उपयोगी है।
सरसों का तैल 60 मि.ली., नीम का तैल 12 मि.ली. तथा इतना ही चालमोगरा और बादाम का तैल और तारपीन का तैल 1 मि.ली. तथा कपूर 4 ग्राम मिलाकर रोगाक्रान्त स्थल पर लगाना गुणकारी है।
• 60 मि.ली. सरसों के तैल में यशद भस्म, सुहागा भस्म और गन्धक 4-4 ग्राम की मात्रा में लें- पकाकर खुजली के स्थान पर मलें ।
• शुद्ध आमलासार गन्धक 1 भाग, काला जीरा 1 भाग, स्वर्ण गैरू 1 भाग सभी का बारीक चूर्ण कर कपड़छन करके सरसों के तैल में मिलाकर कन्डू स्थान पर दिन में 2 बार मालिश करना उपयोगी है।
नीम के पत्तों का रस 500 मि.ग्राम, गाय का घी 125 ग्राम, रस कपूर 12 ग्राम तथा असली मोम 25 ग्राम लें। गाय के घी को गरम करके नीम के पत्तों का रस और रस कपूर मिलाकर धीमी आग पर इतना उबालें कि तैल मात्र शेष रह जाए, तदुपरान्त इसमें मोम मिलाकर मरहम बनालें। इसे गुदा की कन्डू पर दिन में 2-3 बार लगाकर पट्टी बाँधने से लाभ हो जाता है।
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