पिड़िका, लोमपाक, बाल तोड़ (फुन्सियाँ)baltod,foonsiyan,omprakash,pindika ka ilaaj


पिड़िका, लोमपाक, बाल तोड़ (फुन्सियाँ)baltod,foonsiyan,omprakash,pindika ka ilaaj


असावधानी में बाल उखड़ जाने से उस स्थान पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ निकल आती हैं। बालों की जड़ों में मेरिस्टे फिलोकोक्स) नामक कीटाणुओं के संक्रमण, रक्त विकृत हो जाने से, बरसात की ऋतु में कच्चे या पके आमों के अत्यधिक सेवन, एवं दुर्बलता आदि के कारण फुन्सियां निकल आती हैं। पहले इनमें सूजन और दर्द होता है और बाद में इनमें पीप पड़ जाती है। अनेक फुन्सियाँ बिना पके ही बैठ जाती हैं और अनेक पककर कड़ी हो जाती हैं और इनमें कील रहती है। पीप के साथ कील निकल जाने पर दर्द, सूजन, जलन इत्यादि कष्ट कम हो जाते हैं।

उपचार

• सभी प्रकार के फोड़े, शोथ और व्रण इत्यादि में मधु लगाकर पट्टी बाँधना लाभकारी है।

• गूगल को घिसकर फोड़े पर लेप कर दें। इस प्रयोग से फोड़ा बैठ जाएगा अथवा फूटकर ठीक हो जाएगा ।

• कालीजीरी को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सियाँ नष्ट होती हैं।

• पीपल के पत्ते को घी से चिकना कर उसे अग्नि पर गरम करके सुहाता-सुहाता बाँधने से फोड़ा बैठ जाता है अथवा पककर फूट जाता है।

• तिल का तैल 30 ग्राम लोहे की कड़ाही में डालकर पकायें। जब पकने लगे तब उसमें 10 ग्राम सिन्दूर मिला दें और लोहे की सीक से चलाते रहें। जब रंगत स्याह होने लगे और गाढ़ा हो जाये तब उतार कर किसी चौड़े मुँह की स्वच्छ शीशी या डिबिया में सुरक्षित रखलें। आवश्यकता पड़ने पर किसी स्वच्छ कपड़े पर लगाकर यह मरहम चिपका दें। सड़े-गले घावों को यह बहुत जल्द ठीक कर देता है।

• शंखाहूली (ब्रह्मदण्डी, हुलहुल) 10 ग्राम, काली मिर्च 6 नग दोनों को पानी में घोट, पीस व छानकर पीने से शरीर में निकलने वाले फोड़े-फुन्सी, खुजली व दाद आदि कष्टों से निजात मिल जाती है। अतीव उपयोगी योग है।• कुटकी और चिरायता प्रत्येक 5-5 ग्राम रात को जल में भिगोकर रखें तथा प्रातःकाल छानकर 15 से 30 मि.ली. की मात्रा में पियें। इसी प्रकार प्रातः काल भिगोकर रखें और उसे शाम को पियें। बच्चों को चौथाई से आधी मात्रा दें।

• सरफोंका की जड़ की छाल एवं पत्ते 5 ग्राम, नीम के सूखे पत्ते 5 ग्राम लें। दोनों को जल के साथ पीसकर लेप तैयार करें। फिर इस लेप को फुन्सियों पर दिन में 3-4 बार लगायें तो फुन्सियाँ फूटकर घाव ठीक हो जाते हैं। जब तक घाव पूर्ण रूप से ठीक न हो जायें तब तक इस्तेमाल करते रहें। लाभप्रद योग है.।

• महामंजीष्ठारिष्ट (आयुर्वेदसार संग्रह) 15 से 30 मि.ली. बराबर जल मिलाकर भोजनोपरान्त दिन में 2 बार पियें।

• महातिक्त घृत (सिद्ध योग संग्रह) सुबह-शाम 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।

फोड़े-फुन्सी नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदिक योग

हीलर मलहम (वैद्यनाथ) जल जाना, कट जाना, कीट-पतंगों का काट खाना इत्यादि में आवश्यकतानुगार बाह्य प्रयोग करें ।

करामाती मलहम (राजवैद्य शीतल प्रसाद एण्ड संस)- गन्दे पीपयुक्त घाव तथा फोड़ों पर आवश्यकतानुसार लगायें ।

त्र्यम्बक मलहम (राजवैद्य शीतल प्रसाद) घाव, चोट, मोन, कीड़ों का डंक मारना, विषैले जानवरों का काट लेना इत्यादि में आवश्यकतानुसार प्रयोग करें ।

शामक तेल (मेहता) आवश्यकतानुगार व्रणों पर लगायें।

सप्त गुण तैल (वैद्यनाथ) - जल जाना, कट जाना, कान का दर्द, कान बहना, फोड़े-फुन्सियों तथा पसली दर्द में उपयोगी है।

ब्लड प्यूरीफायर (झन्ड्) रक्तदोष से उत्पन्न घाव, फोड़े-फुन्सी, कारबंकल फोड़ा आदि के लिए उपयोगी है। यह समस्त रक्तदोष नाशक है। इसे 1-2

ड्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार प्रयोग करें।

केपाइना टेबलेट (हिमालय) प्रत्येक प्रकार के घाव, फोड़े, नासूर, कारबंकल. में उपयोगी है। इसकी 1-2 टिकिया दिन में 3 बार लें।

करामाती टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद)- फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली, घाव, छिल जाना, कट जाना, उस्तरे का घाव इत्यादि में उपयोगी है।

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