अर्बुद, मस्सा (Wart)aburd,massa ka ilaaj


अर्बुद, मस्सा (Wart)aburd,massa ka ilaaj 

रोग परिचय- शरीर के विभिन्न स्थानों (विशेषकर गर्दन, चेहरा, छाती, पीठ, अधोनख, पुरुषेन्द्रियों, वी की योनि, गर्भाशय-मुख तथा पादतल में उपदंश आदि रोगों के विष के कारण त्वचा में मांस के सूक्ष्म खन्ड के सदृश अर्बुद उत्पन्न हो जाते हैं। वे सांवले व्यक्ति में काले तथा गोरे व्यक्ति में लाल रंग के होते हैं। यह कोई कष्ट नहीं देते हैं किन्तु देखने में बुरे (भट्टे) लगते हैं, केवल शारीरिक सौन्दर्य को बिगाड़ देते हैं For

उपचार

• इस रोग हेतु हौम्योपैथी औषधि 'धूजा' ने अधिक ख्याति प्राप्त की है। किसी हौम्योपैथी चिकित्सक से परामर्श कर उचित पोटेन्सी में व्यवहार करें ।

• कब्ज दूर करने हेतु त्रिफला चूर्ण 3 से 5 ग्राम अथवा छोटी हरड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में सुबह सूर्योदय से पूर्व स्वच्छ बासी जल के 5 घूंट के साथ खायें । तदुपरान्त नीम के पत्तों का कपड़छन चूर्ण 2 ग्राम, स्वर्णधीरी की जड़ का चूर्ण 1 माम तथा काली मिर्च का चूर्ण 250 मि.ग्रा. एकत्र कर मिलाकर ऐसी 1-1 मात्रा सुबह-शाम ताजा जल अथवा मधु से लें। लाभकारी योग है।• व्याधि हरण रसायन या रसमाणिक्य अथवा तालकेश्वर रस आदि शास्त्रीय औषधियों का भी प्रयोग इस हेतु अत्यन्त लाभकारी है।

• धोबी सोड़ा और कली चूना मिलाकर रुई के फाहे से मस्से पर दिन में 2-4 बार महीन बुश से 2-2 घंटे पर लगाना लाभप्रद है।

• मस्से पर हल्का चूना (पान में खाने वाला) लगाकर बंगला पान का डन्ढल <गड़ें। मस्सा कट जाएगा फिर जख्म का उपचार कर लें।

• नाई के उस्तरे से मस्सा काटकर तुरन्त ही उस जगह पर पोटाश परमेगनेंट चुटकी में भरकर लगा दें। रक्त बन्द हो जायेगा तथा चर्म ठीक होकर 2-3 दिन बाद मस्सा मिट जायेगा ।

• मोर की बीट (विष्ठा) सिरके में मिलाकर मस्सों पर लगाना उपयोगी है।

• धनिये को पानी में पीसकर लेप करने से तिल और मस्से नष्ट हो जाते हैं।

• भुनी हुई फिटकरी में समभाग काली मिर्च मिलाकर बारीक घोट लें। इसे पानी में घोलकर मुँहासे या शरीर के किसी भी भाग पर मस्सों पर लगाने से वह नष्ट हो जाते हैं। मस्सों के लिए यह योग काल जैसा है।

(नोट-जहाँ से रक्त बहता हो, वहाँ इसे लगाने से रक्त बहना भी बन्द हो जाता है 1)

• चूना और सज्जी दोनों समभाग लें और पानी में डाल दें। यह क्रिया रात्रि में करें । प्रातःकाल निथरे हुए पानी को छानकर शीशी में भर लें। मस्सों को ब्लेड से छीलकर यह लोशन पान के पत्तों की डन्डी (डन्दल) से लगायें । सभी मस्से जल जायेंगे और जीवन में दोबारा नहीं होंगे ।

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